नई दिल्ली: भारत-कनाडा विवाद पर कनाडा से वापस बुलाए गए भारतीय उच्चायुक्त संजय वर्मा ने वहां की स्थिति पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कनाडा में पढ़ने की इच्छा रखने वाले भारतीय छात्रों को पुनर्विचार करने की राय दी। उन्होंने बताया कि वहां के घटिया कॉलेजों में लाखों रुपये खर्च करने के बाद छात्रों को नौकरी नहीं मिलती, जिसके परिणामस्वरूप वे निराशा में चले जाते हैं और आत्महत्या कर लेते हैं।
भारतीय उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा ने कहा, “मेरे कार्याकाल के दौरान एक समय हर हफ्ते दो छात्रों के शव बॉडी बैग में भरकर भारत भेजे जाते थे। असफलता के बाद अपने माता-पिता से सामना करने के बजाय वे आत्महत्या करते हैं।” बता दें कि खालिस्तानी अलगाववादी मुद्दे पर भारत-कनाडा के विवाद के बीच ही संजय कुमार वर्मा इस महीने की शुरुआत में भारत वापस आ गए थे।
संजय वर्मा और पांच अन्य राजनयिकों को कनाडा ने ‘पर्सन ऑफ इंटेरेस्ट’ में सूचीबद्ध किया था। इसका मतलब है कि उनसे 2023 में भारत द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी के रूप में नामित एक कनाडाई नागरिक की हत्या की जांच में पूछताछ की जानी थी। भारतीय राजनयिकों के अपमान को देखते हुए भारत ने 19 अक्टूबर को संजय वर्मा और अन्य को वापस बुला लिया।
भारतीय उच्चायुक्त ने दी सलाह
भारत वापस लौटने के बाद संजय वर्मा ने कहा कि अगर भारत के साथ कनाडा के संबंध अच्छे होते तो भी वह उन्हें यही सलाह देते। वे खुद एक पिता होने के नाते यह सलाह दे रहे हैं। उन्होंने कहा, “बच्चे भविष्य के सपने को पूरा करने के लिए जाते हैं, लेकिन वे सभी बॉडी बैग में लौटते हैं।” उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे निर्णय लेने से पहले कॉलेजों के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। भारतीय राजदूत ने बेईमान एजेंटों की भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराया।
संजय वर्मा ने कहा, “कक्षाएं सप्ताह में एक बार ही होती है, वे केवल उतना ही पढ़ते हैं और उसी के हिसाब से उनका कौशल विकास होता है। मान लीजिए की एक छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करता है तो वह एक इंजीनियर की नौकरी करेगा। लेकिन आप देखेंगे कि वह कैब चला रहा है, या फिर किसी दुकान में चाय-समोसा बेच रहा है। वहां (कनाडा) की जमीनी हकीकत उत्साहजनक नहीं है।”