सरकार ने शहरी खुदरा सप्लायर्स को सस्ती सीएनजी में कटौती की है। ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में सीएनजी की कीमतों में चार से छह रुपये की बढ़ोतरी हो सकती है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। सूत्रों का कहना है कि हालांकि सरकार सीएनजी की बढ़ती कीमतों को उत्पाद शुल्क में कटौती करके नियंत्रित करने की कोशिश कर सकती है। सरकार ने प्राकृतिक गैस की आपूर्ति में 20 प्रतिशत की कमी की है।
गैस की सप्लाई में हो रही कटौती
अरब सागर से लेकर बंगाल की खाड़ी तक भारत में जमीन के नीचे से और समुद्र तल से पाइपों के जरिए प्राकृतिक गैस की सप्लाई होती है। इस प्राकृतिक गैस एक तरह का कच्चा माल होता है, जिसे ऑटोमोबाइल में इस्तेमाल के लिए सीएनजी और घरों में रसोई गैस के रूप में इस्तेमाल करने के लिए बदला जाता है। लेगेसी फील्ड से उत्पादित होने वाली गैस को शहरों के खुदरा गैस सप्लायर्स को भेजा जाता है। इस सप्लाई में पांच प्रतिशत सालाना की कटौती की जा रही है। घरेलू रसोई गैस की सप्लाई स्थिर है, ऐसे में उसमें बढ़ोतरी की संभावना नहीं है, लेकिन चूंकि सप्लायर्स के पास गैस की कम सप्लाई हो रही है, जिसके चलते उन्हें महंगी सीएनजी खरीदनी पड़ रही है। यही वजह है कि आने वाले दिनों में सीएनजी की कीमतें बढ़ने की आशंका है।
सरकार कर सकती है उत्पाद शुल्क में कटौती
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जल्द ही महाराष्ट्र में चुनाव होने हैं और कुछ ही माह में दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव होंगे। ऐसे में सरकार बढ़ती कीमतों को रोकने के लिए सीएनजी पर उत्पाद शुल्क में कटौती कर सकती है। मुंबई और दिल्ली जैसे शहरों में सीएनजी आधारित वाहनों की बड़ी संख्या है। यही वजह है कि सरकार नहीं चाहेगी कि कीमतों में बढ़ोतरी से मतदाता नाराज हों। ऐसे में इसकी भी चर्चा है कि सरकार हालात को संभालने के लिए उत्पाद शुल्क घटा सकती है।