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एक ही दिन में बजाज ऑटो के शेयर 13% से ज्यादा टूटे, दिवाली से पहले इतनी बड़ी गिरावट, आखिर माजरा क्या है?

गुरुवार के कारोबारी सत्र के के बाद बजाज ऑटो के शेयर 13% से अधिक की गिरावट के साथ बंद हुए। कोरोना संकट यानी मार्च 2020 के बाद कंपनी के शेयरों में आई यह सबसे बड़ी गिरावट है। कंपनी के शेयरों में कमजोरी का सबसे बड़ा कारण त्यौहारी सीजन के दौरान उम्मीद से कम बिक्री का अनुमान है। दोपहर तीन बजकर 30 मिनट पर कंपनी के शेयर 1,523.45 अंकों यानी 13.11% की गिरावट के साथ 10,093.50 रुपये के भाव पर बंद हुए।

बजाज ऑटो के शेयरों में गिरावट पूरे दोपहिया वाहन उद्योग के लिए चिंता की खबर है। गुरुवार को हीरो मोटो कॉर्प के शेयर भी 3.39% कमजोर होकर 5,214.95 रुपये के भाव पर बंद हुए। टीवीएस मोटर कंपनी के शेयरों में भी 3.43% की गिरावट आई और यह 2,679 रुपये के भाव पर बंद हुआ।

त्योहारी सीजन में कम वाहनों वाहनों की बिक्री का अनुमान
बुधवार को विश्लेषकों से बातचीत के दौरान बजाज ऑटो के कार्यकारी निदेशक राकेश शर्मा ने बताया कि आगामी अक्टूबर-नवंबर त्योहारी सीजन के दौरान मोटरसाइकिल की बिक्री में केवल 1% से 2% की वृद्धि होने की उम्मीद है। यह उद्योग जगत के अनुमान 5% से 6% की वृद्धि से काफी कम है। संभावित रूप से उम्मीद से कमतर बिक्री अनुमानों से निवेशकों को निराशा हुई और उन्होंने बिकवाली की, वे त्योहारी सीजन से पहले मजबूत बिक्री की उम्मीद कर रहे थे।

ऐसा नहीं है कि केवल बजाज ऑटो के शेयरों में गिरावट दिखी, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस मोटर जैसी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों के शेयरों में भी लगभग 5% तक की गिरावट दर्ज की गई। बजाज ऑटो के प्रति निवेशकों के सतर्क रुख का असर पूरे बाजार की अवधारणा पर भी पड़ा।

बढ़ती महंगाई के कारण उपभोक्ता वस्तुओं की मांग में आ रही नरमी
जानकार मानते हैं कि बजाज ऑटो के शेयरों में तेज गिरावट से एक और संकेत मिलता है, वह यह कि त्योहारी सीजन के दौरान पारंपरिक रूप से मजबूत रहने वाली उपभोक्ता मांग इस साल सुस्त रह सकती है। भारतीय आमतौर पर त्योहारी सीजन के दौरान मोटरसाइकिल जैसे वाहनों की बड़ी खरीदारी करते हैं, लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई खासकर, खाने-पीने के चीजों की कीमतों में वृद्धि के कारण उपभोक्ताओं के खर्च करने की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। ऑटो सेक्टर के की बात करें तो खुदरा विक्रेताओं ने पहले ही अपनी रिपोर्ट में कहा है कि त्यौहारी सीजन के दौरान उपभोक्ता महंगी खरीदारी से बच रहे हैं, इसलिए उद्योग जगत को और अधिक सतर्क दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है।