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बिहार के पूर्व मंत्री की हत्या मामले में पूर्व विधायक को झटका, आत्मसमर्पण के लिए समय देने से इनकार

नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की 1998 में हुई हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला समेत दो लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इस पर शुक्ला ने आत्मसमर्पण करने के लिए समय मांगने के लिए याचिका दायर की थी, जिसे बुधवार को अदालत ने खारिज कर दिया।

और समय नहीं दिया जा सकता: पीठ
पूर्व विधायक की ओर से वकील विकास सिंह ने जस्टिस संजीव खन्ना, संजय कुमार और आर महादेवन की पीठ से अनुरोध किया था कि उनकी पत्नी के स्वास्थ्य और मामलों के प्रबंधन के लिए एक महीने यानी 30 दिन का समय चाहिए। हालांकि, याचिका खारिज करते हुए पीठ ने कहा कि तीन अक्तूबर के आदेश में शुक्ला को 15 दिन का पर्याप्त समय दिया गया है और इसलिए अब और समय नहीं दिया जा सकता।

मंटू और शुक्ला को 15 दिन में करना है आत्मसमर्पण
बता दे, तीन अक्तूबर को शीर्ष अदालत ने दोषियों मंटू तिवारी और पूर्व विधायक शुक्ला को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था। हालांकि, शीर्ष कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह समेत छह अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें बरी करने के फैसले को बरकरार रखा था। पीठ ने कहा था कि मंटू और विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या) और 307 (हत्या का प्रयास) के तहत आरोप साबित होते। उन्हें 15 दिनों के अंदर आत्मसमर्पण करना होगा।

हाईकोर्ट और निचली अदालत में क्या हुआ था?
इससे पहले 24 जुलाई 2014 को हाईकोर्ट ने कहा था कि अभियोजन पक्ष के सबूतों और गवाहों को मद्देनजर रखते हुए सूरजभान सिंह उर्फ सूरज सिंह, मुकेश सिंह, लल्लन सिंह, मंटू तिवारी, कैप्टन सुनील सिंह, राम निरंजन चौधरी, शशि कुमार राय, मुन्ना शुक्ला और राजन तिवारी संदेह का लाभ पाने के हकदार हैं। कोर्ट ने निचली अदालत के 12 अगस्त 2009 के उस आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें उन्हें दोषी ठहराया गया था और सभी आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।