लखनऊ: हरियाणा विधानसभा चुनाव में बसपा के इनेलो के साथ हुए गठबंधन को मिली असफलता के कड़वे अनुभव के बाद बसपा सुप्रीमो मायावती ने एलान किया है कि आने वाले चुनाव में बसपा अब किसी से गठबंधन नहीं करेगी।
उन्होंने कहा कि यूपी सहित दूसरे राज्यों के चुनाव में भी बसपा का वोट गठबंधन की पार्टी को ट्रांसफर हो जाने, लेकिन उनका वोट बसपा को ट्रांसफर कराने की क्षमता उनमें नहीं होने के कारण अपेक्षित चुनाव परिणाम नहीं मिलने से पार्टी कैडर को निराशा व उससे होने वाले मूवमेन्ट की हानि को बचाना जरूरी है।
इसी संदर्भ में हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणाम व इससे पहले पंजाब चुनाव के कड़वे अनुभव के मद्देनजर शुक्रवार को हरियाणा व पंजाब की समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय पार्टियों से भी अब आगे गठबंधन नहीं करने का निर्णय लिया गया है, जबकि भाजपा, एनडीए व कांग्रेस और इण्डिया गठबंधन से दूरी पहले की तरह ही जारी रहेगी।
देश की एकमात्र प्रतिष्ठित अम्बेडकरवादी पार्टी बसपा व उसके आत्म-सम्मान व स्वाभिमान मूवमेन्ट के कारवां को हर प्रकार से कमजोर करने की चौतरफा जातिवादी कोशिशें लगातार जारी हैं, जिस क्रम में अपना उद्धार स्वयं करने योग्य व शासक वर्ग बनने की प्रक्रिया पहले की तरह ही जारी रखनी जरूरी है।
बसपा विभिन्न पार्टियों, संगठनों व उनके स्वार्थी नेताओं को जोड़ने के लिए नहीं, बल्कि ‘बहुजन समाज’ के विभिन्न अंगों को आपसी भाईचारा व सहयोग के बल पर संगठित होकर राजनीतिक शक्ति बनाने व उनको शासक वर्ग बनाने का आन्दोलन है, जिसे अब इधर-उधर में ध्यान भटकाना अति-हानिकारक है।