वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि यूरोपीय संघ का कार्बन सीमा समायोजन तंत्र (सीबीएएम) एकतरफा और मनमाना है। इसके कार्यान्वयन के बाद भारत के निर्यात को नुकसान पहुंचेगा।
सीतारमण एक शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने कहा, यूरोपीय संघ (ईयू) ने 1 जनवरी 2026 से अपने यहां आयात होने वाले स्टील, सीमेंट और उर्वरक सहित सात कार्बन-गहन क्षेत्रों पर कार्बन कर लगाने का फैसला किया है। इसके दायरे में इंजीनियरिंग सामान भी आएंगे। उन्होंने कहा, यह यूरोपीय संघ की ओर से पेश किया गया सीमा कर है। इस तरह के कदम व्यापार अवरोध पैदा करने वाले होते हैं।
उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ, भारत ने यूरोपीय संघ के समक्ष कई बार अपनी चिंता व्यक्त की है। सरकार लेनदेन की लागत को कम करने के तरीकों पर भी विचार कर रही है। यूरोपीय संघ के इस निर्णय से भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा, क्योंकि भारत के लिए यूरोप शीर्ष निर्यात गंतव्यों में से एक है।
निर्मला सीतारमण ने कहा, 2023-24 में यूरोपीय संघ के साथ भारत का कुल व्यापार 137.41 अरब डॉलर था, जिसमें आयात 61.48 अरब डॉलर और निर्यात 75.93 अरब डॉलर था। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इसकी संभावना बहुत कम है कि सीबीएएम के चलते भारत का यूरोपीय संघ के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने में दिक्कत आएगी। उन्होंने कहा, हम 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।