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‘विकास भी विरासत भी’ योजना को मंजूरी, गुजरात में बनेगा दुनिया का सबसे बड़ा समुद्री विरासत कॉम्प्लेक्स

 नई दिल्ली:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने विकास भी विरासत भी योजना को भी स्वीकृति प्रदान की है। इसका लक्ष्य भारत की नेवी क्षमताओं के सुनहरे और जीवंत इतिहास से दुनिया को परिचित करना है। इसके तहत देश की नौवहन इतिहास को सजीव करने के लिए गुजरात के लोथल में एक नेशनल मैरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स का निर्माण किया जाएगा, जो कि दो साल में साकार दिखने लगेगा। इसके अलावा केंद्रीय कैबिनेट ने देश की सीमाओं में लगे इलाकों खासतौर पर पंजाब और राजस्थान में आधारभूत ढांचे के निर्माण के लिए विस्तृत निर्माण योजना का मंजूरी दी है। इसके तहत राजस्थान और पंजाब के सीमावर्ती इलाकों के 2 हजार किलोमीटर से अधिक नया रोड नेटवर्क तैयार किया जाएगा। इससे देश के अन्य रोड नेटवर्क से भी जोड़ा जाएगा।

विकास और विरासत की इस योजना में कैबिनेट ने देश की नौवहन यानी समुद्र में परिवहन की विरासत से दुनिया को परिचित कराने का बीड़ा उठाया है, इसके लिए एक विस्तृत योजना को मंजूरी दी गई है। भारत की समुद्री विरासत बहुत समृद्ध है और सबसे पुराने समुद्री साक्ष्य लगभग 4,500 साल पुराने हैं। चोल और पांड्यों के पास विशाल नौसैनिक और व्यापारिक बेड़े थे। उड़ीसा से व्यापारी जहाज श्रीलंका, बाली, जावा और गोवा तक जाते थे। गुजरात में लोथल पारंपरिक हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख शहरों में से एक था, जिसका इतिहास 2400 ईसा पूर्व का है। जहाज निर्माण, व्यापारी बेड़ा और वल्लभी विश्वविद्यालय विश्व प्रसिद्ध थे।

भारत का जहाज निर्माण उद्योग विश्व प्रसिद्ध था। हमारी समृद्ध समुद्री विरासत को संरक्षित और विकसित करने की आवश्यकता है। इसके मद्दे नजर ही राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर का विकास करने की योजना को मंजूरी मिली है। इसमें शिवाजी के जमाने से उनके नौसेनापति कन्होजी अंग्र की जलीय सुरक्षा में क्षमता से लेकर अनादिकाल से चली आ रही भारतीय समृद्ध नौवहन की विस्तृत और साझा विरासत को शोकेस किया जाएगा। इसमें लाइट हाउस और संग्रहालय होगा। जिसमें भारत की पानी के जहाज बनाने की विरासत, लोथल शहर में किस तरह से नौवहन संचालित होता था, को लोग देख सकेंगे। यह दुनिया का सबसे बड़ा मेरीटाइम हेरिटेज कॉम्प्लेक्स होगा। इससे प्रेरित होकर देश के अन्य राज्य नौवहन इतिहास को लेकर अपनी अपनी उपलब्धियों से भरी ऐसी ही विरासत को आकार देने के लिए प्रेरित होंगे।