Breaking News

40 साल केस चलने के बाद पूर्व जवान को मिली 40 रुपए पेंशन

court12लखनऊ। मथुरा में सेना के जवान को पेंशन में 40 रुपए की बढ़ोतरी के लिए 40 साल की कानूनी लड़ाई लड़नी पड़े। पेंशन में 40 रुपये की बढ़ोतरी की खातिर चार दशक तक चली कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार जीत मिल सकी। सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल की लखनऊ बेंच ने पूर्व सैनिक सुनहरी लाल के बकाया 8073 रुपए की पेंशन राशि का भुगतान करने का आदेश रक्षा मंत्रालय को दिया। साथ ही इस पूरे मामले के लिए सेना को फटकार लगाते हुए 25 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।

मामले की सुनवाई जस्टिस वीके दीक्षित और लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञान भूषण की कोर्ट में हुई। बेंच ने इस मामले के लिए कोर्ट को फटकार लगाते हुए कहा कि देश की रक्षा करने वाला एक जवान केवल 40 रुपए की शारीरिक अक्षमता पेंशन के लिए 40 साल तक चक्कर काटता रहे। यह पेंशन जवान का अधिकार था। इसमें उनकी कोई गलती नहीं थी। बेंच ने अपने फैसले में कहा, ‘सुनहरी लाल की गरीबी और अब 67 साल की उम्र हो गई। उन्हें इंसाफ पाने के लिए लंबी जद्दोजहद करनी पड़ी। यह दुखद है।

मथुरा के रहने वाले लाल 1965 में सेना में भर्ती हुए थे। पांच साल बाद उन्हें मेडिकल आधार पर अनफिट करार दिया गया। पीसीडीए इलाहाबाद ने शारीरिक अक्षमता 30 फीसदी से अधिक होने की वजह से उन्हें 1971 में पेंशन के लिए अयोग्य करार दिया। सेना ने उनकी सेवा समाप्त की थी तब मेडिकल बोर्ड ने दो साल के लिए 30 फीसद अपंगता पेंशन देने की अनुशंसा की थी।

पीसीडीए इलाहाबाद ने 1971 में शारीरिक अक्षमता के आधार पर पेंशन देने से मना कर दिया था। इसके बाद उन्होंने सिविल जज मथुरा में 1975 में याचिका दायर की। न्यायालय के निर्देश के बाद भी सेना ने शारीरिक अक्षमता के आधार पर पेंशन जारी नहीं की। सुनहरी लाल का मुकदमा 2013 में लखनऊ स्थित सशस्त्र बल ट्रिब्यूनल में ट्रांसफर हो गया। यहां मामले की सुनवाई जस्टिस वीके दीक्षित और लेफ्टिनेंट जनरल ज्ञान भूषण की कोर्ट में हुई।