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4 जून को कांग्रेस रैली का हिस्सा नही बनेंगे नीतीश…………

नई दिल्ली। लोक सभा चुनाव 2019 को ध्यान में रखते हुये बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार कभी दो कदम आगे बढ़ने और कभी तीन तीन कदम पीछे हटने की राजनीति कर रहे हैं।

नीतीश कुमार केंद्र की नरेंद्रे मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष के महागठबंधन का हिस्सा भी हैं और विपक्ष के एजेंडे से दूरी रखने की राजनीति भी करते हैं। वे मोदी के सबसे बड़े आलोचक भी हैं और मोदी की तारीफ से भी किसी प्रकार का परहेज नहीं करते है। एक समय था, जब मोदी के साथ फोटो छप जाने पर उन्होंने भाजपा नेताओं को दिया भोज रद्द कर दिया था और अब मोदी के दिए भोज में शामिल होने में भी उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

नीतीश कुमार  26 मई को सोनिया गांधी की ओर से दिए गए  लंच में भी शामिल नहीं हुए, लेकिन 27 जुलाई को मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद्र कुमार जगन्नाथ के सम्मान में दिए मोदी द्वारा दिये गए भोज में नीतीश शामिल हुए थे।

इसी तरह बताया जा रहा है कि वे तीन जून को चेन्नई में DMK सुप्रीमो करुणानिधि के जन्मदिन के मौके पर मनाए जा रहे समारोह में शामिल होंगे जहाँ देश भर की विपक्षी पार्टियों के नेताओं का जमावड़ा हो रहा है। ज्ञात हो कि करुणानिधि के जन्मदिन समारोह में भाजपा को नहीं बुलाया गया है।

नीतीश कुमार ने 27 अगस्त को पटना में राजद प्रमुख लालू प्रसाद की ओर से की जा रही रैली में शामिल होने की सहमति भी दे दी है परंतु  नीतीश कुमार ने कांग्रेस की ओर से आंध्र प्रदेश के विशेष राज्य के दर्जे के लिए होने वाली रैली का हिस्सा नहीं होंगे। कांग्रेस की यह रैली चार जून को होने वाली है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इस रैली को संबोधित करेंगे और बताया जा रहा है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी इसमें शामिल होंगे।

कई नेताओं का मानना है कि नीतीश कुमार को  कांग्रेस की इस रैली में जाना चाहिए क्योंकि यह आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के लिए हो रही है। नीतीश खुद भी बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने का आंदोलन चलाते रहे हैं। कहा जा रहा है कि वे फिर से इस आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं।  सूत्रों की माने तो नीतीश कुमार  राहुल गांधी को महागठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद की दावेदारी से संतुष्ट नही है।2019 के चुनाव में यह उनका एक बड़ा मुद्दा होगा।