नई दिल्ली: देश के जलाशयों में जल संग्रहण क्षमता के स्तर में इस साल काफी सुधार हुआ है। 155 जलाशयों में कुल क्षमता का 88 फीसदी पानी भरा हुआ है, जो कि सामान्य जल संग्रहण स्तर से 14 फीसदी अधिक है। यह पिछले साल की इसी अवधि के जल संग्रहण क्षमता के स्तर की तुलना में उल्लेखनीय सुधार है। पिछले साल इस समय जल संग्रहण स्तर 134.056 अरब क्यूबिक मीटर (बीसीएम) था। इसके अलावा, पिछले दस वर्षों का औसत जल संग्रहण क्षमता स्तर 139.114 बीसीएम रहा है।
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के बुलेटिन में कहा गया है कि देशभर में 86 जलाशय ऐसे हैं, जिनकी पिछले वर्ष की तुलना में जल संग्रहण क्षमता का स्तर बढ़ा है और 123 जलाशय अपनी सामान्य क्षमता से अधिक जल संग्रहण कर रहे हैं। 2024 के आंकड़े पिछले वर्ष के स्तर की तुलना में 18 फीसदी अधिक हैं। यह सामान्य जल संग्रहण से 14 फीसदी वृद्धि दिखाते हैं। हालांकि, देशभर में जल संग्रहण स्तर अधिक होने के बाजवूद क्षेत्रीय भिन्नताएं हैं।
पश्चिमी क्षेत्र ने सबसे मजबूत जल संग्रहण के आंकड़े दर्ज किए हैं, जहां कुल जल संग्रहण क्षमता का 97 फीसदी पहले ही भर चुका है। यह पिछले वर्ष के 89 फीसदी से काफी अधिक है। इस क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र और गोवा शामिल हैं।
केंद्र क्षेत्र जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ शामिल हैं, यहां जलाशयों में जल संग्रहण क्षमता का स्तर घटा है। पूर्वी क्षेत्र जिसमें असम, ओडिशा और बिहार जैसे राज्य शामिल हैं, वहां जल संग्रहण क्षमता का स्तर 86 फीसदी दर्ज किया गया है, जो कि पिछले वर्ष के 77 फीसदी से अधिक है।
सीडब्ल्यूसी की बुलेटिन में यह भी जिक्र किया गया है कि भारत के कई प्रमुख नदी बेसिन में सामान्य से बेहतर जल संग्रहण क्षमता का स्तर है। इनमें गंगा, महानदी, गोदावरी और नर्मदा बेसिन प्रमुख हैं। वहीं, इसके विपरीत सिंधु बेसिन ने सामान्य जल संग्रहण के मुकाबले कमी दर्ज की है। हालंकि, कोई भी बेसिन ‘बहुत अधिक कमी’ की श्रेणी में नहीं आया है।