नई दिल्ली: तकनीक पर तेजी से निर्भर होती जा रही दुनिया को उसके फायदे ही नहीं, बल्कि स्याह पक्ष से भी वास्ता रखना होगा, क्योंकि साइबर अपराधी परिष्कृत हमलों को अंजाम देने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का बेजा इस्तेमाल कर रहे। यह लोगों के लिए ही नहीं, संगठनों के लिए भी खतरे की घंटी है। साइबर सुरक्षा फर्म क्विक हील के एंटीवायरस लाइनअप की रणनीति और उत्पाद संरक्षक प्रमुख स्नेहा काटकर ने यह बात कही।
काटकर कहती हैं कि आज साइबर अपराधी मैन्युअली काम नहीं कर रहे हैं। वे हमलों के लिए स्वचालित एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी वजह से बेहद होशियार लोग भी इसके शिकार बन जाते हैं। पारंपरिक सुरक्षा उपाय इसके आगे टिक नहीं पाते हैं। स्टार हेल्थ एंड अलाइड इंश्योरेंस पॉलिसी होल्डर्स की निजी जानकारियां लीक होना इस खतरनाक रवैये का हालिया उदाहरण है। इसने टेलीग्राम चैटबॉट्स पर ग्राहकों की संवेदनशील स्वास्थ्य जानकारी सार्वजनिक कर डाली। उनका कहना है कि स्टार हेल्थ की यह चोरी डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में मौजूद कमजोरियों को बताती हैं। अब ऐसे एआई वाले साइबर हमलों के लिए उन्नत साइबर सुरक्षा उपायों की तत्काल जरूरत का वक्त आ पहुंचा है।
पहुंच रहा बड़ा नुकसान
साइबर अपराधों से लोगों और संगठनों को अच्छा खासा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ा है। फिशिंग, रैनसमवेयर और ऑनलाइन धोखाधड़ी की वाकए आम हो चले हैं। भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र के अनुसार, जनवरी और अप्रैल 2024 के बीच भारतीयों ने धोखेबाजों की वजह से लगभग 1,750 करोड़ रुपये खो दिए। डिजिटल दौर में निजी डाटा और पहचान की चोरी बढ़ रही है। हाल ही में देश के सर्वोच्च न्यायालय के यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर रणवीर अल्लाहबादिया (बीयर बाइसेप्स) को हैक कर लिया गया। एक सीईओ डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले का शिकार होने से 7 करोड़ रुपये गंवाने पड़े।