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निबांलकर ने शरद का साथ छोड़ने पर खुद को माना दोषी, क्या चुनाव से पहले अजित को लगेगा बड़ा झटका?

मुंबई:  जैसे-जैसे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे ही यहां की राजनीतिक में बदलाव देखने को मिल रहा है। चुनाव से पहले हुए इस बदलाव से राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) प्रमुख और डिप्टी सीएम अजित पवार को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल, अजित पवार के बेहद खास रामराजे नाइक निंबालकर उनसे नाराज दिखाई दे रहे हैं। इतना ही नहीं अटकलें लगाई जा रही हैं कि वह शायद शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपीएसपी) का हाथ थाम सकते हैं।

कार्यकर्ताओं की हिफाजत के लिए…
निंबालकर ने रविवार को कहा कि शरद पवार को छोड़ने के लिए वह अपने आपको दोषी महसूस करते हैं, लेकिन उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं की हिफाजत के लिए ऐसा किया। गौरतलब है, राज्य विधानसभा चुनाव से पहले उनके शरद पाले में लौटने की बढ़ती चर्चा के बीच यह बयान सामने आया है।

अजित पवार के खास माने जाने वाले निंबालकर ने अपने 75वें जन्मदिन पर फलटन में आयोजित एक कार्यक्रम में भाग लिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने शरद पवार से नाता तोड़ने और अपने कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली पार्टी में जाने का फैसला किया था। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ।

पिछले साल हुआ था सियासी उठापटक
गौरतलब है, अजित पवार कई अन्य विधायकों के साथ पिछले साल जुलाई में शिवसेना-भाजपा सरकार में शामिल हो गए थे, जिससे उनके चाचा शरद पवार द्वारा स्थापित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में विभाजन हो गया।

मैं शरद पवार का सामना कैसे करूंगा: निंबालकर
एनसीपी (एसपी) में शामिल होने की अटकलों पर वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘मैं (शरद) पवार साहब का सामना कैसे कर सकता हूं, जिन्होंने मुझे 2009 में मंत्री बनाया था, जबकि मैं विधायक भी नहीं था। मैं उन्हें छोड़ने के लिए खुद को दोषी महसूस करता हूं। लेकिन मैंने अपने कार्यकर्ताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऐसा किया। लेकिन ऐसा होता नहीं दिख रहा है।’

राज्य विधान परिषद के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने अजित पवार और देवेंद्र फडणवीस को सूचित कर दिया था कि वह हालिया लोकसभा चुनावों के दौरान भाजपा सांसद रंजीत निंबालकर के लिए प्रचार नहीं करेंगे। वरिष्ठ नेता ने कहा कि वह अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में अपने कार्यकर्ताओं से चर्चा करने के बाद फैसला करेंगे। साथ ही परिसीमन में शहरी क्षेत्रों में सीटों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।