भुवनेश्वर: ओडिशा सरकार ने राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ओएसडीएमए) को पुनर्गठित करने का फैसला किया है। इस नए ढांचे में सरकार का फोकस अब आपदा से निपटने की तैयारी के बजाय जोखिम कम करने और पुनर्निर्माण पर ज्यादा होगा। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारी ने कहा, “हाल में चक्रवात, भारी बारिश और अचानक बाढ़ जैसी आपदाओं की घटनाएं बढ़ी हैं। इससे निपटने के लिए राजस्व और आपदा प्रबंधन विभाग ने शुक्रवार को एक प्रस्ताव पारित किया। इस प्रस्ताव के मुताबिक, सरकार का फोकस अब जोखिम को कम करने और तेजी से पुनर्निर्माण पर होगा, न कि सिर्फ तैयारी और प्रतिक्रिया पर।”
प्रस्ताव में कहा गया है कि परिस्थितियों में आ रहे बदलावों के मद्दनेजर ओएसडीएमए की संगठनात्मक संरचना को राष्ट्रीय ढांचों और दिशा निर्देशों के अनुरूप मजबूत करना जरूरी हो गया है। हमें आपदा जोखिम को कम करने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा।
नए प्रस्ताव के मुताबिक, ओएसडीएमए को चार विभागो में बांटा जाएगा- सामान्य, क्षमता निर्माण, परियोजना और प्रौद्योगिकी और वित्त। प्रत्येक विभाग का नेतृत्व एक कार्यकारी निदेशक करेगा। कार्यकारी निदेशक (सामान्य) और कार्यकारी निदेशक (क्षमता निर्माण) भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) या ओडिशा प्रशासनिक सेवा (ओएएस) के अधिकारी होंगे। जबकि कार्यकारी निदेशक (परियोजना और प्रौद्योगिकी) ओडिशा सरकार के इंजीनियरिंग विभाग से या भारत सरकार के दूरसंचार विभाग से प्रतिनियुक्ति पर होगा। वहीं, कार्यकारी निदेशक (वित्त) ओडिशा वित्त सेवा (ओएफएस) का अधिकारी होगा।
इस प्रस्ताव में कहा गया है कि ओएसडीएम के कुल 102 कर्मचारियों में से 10 पद समाप्त किए गए हैं और 37 नए पद बनाए गए हैं। ओएसडीएमए की स्थापना नवीन पटनायक सरकार ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के गठन से छह साल पहले की थी। इस पुनर्गठन के जरिए ओडिशा सरकार को उम्मीद है कि भविष्य में आने वाली आपदाओं का प्रभाव कम किया जा सकेगा और राज्य की जनता को सुरक्षित रखने के लिए बेहतर उपाय किए जा सकेंगे।