उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को मीडिया से राष्ट्र-विरोधी आख्यानों और गलत सूचनाओं पर अपना रुख स्पष्ट करने का आग्रह किया। वहीं उन्होंने इस बात पर अफसोस जताया कि कम समय तक चलने वाली घटनाएं अक्सर सुर्खियां बटोरती हैं।
उपराष्ट्रपति ने कुछ घटनाओं पर जताया दुख
उन्होंने छेड़छाड़ वाली रिपोर्टिंग के कुछ उदाहरणों पर भी दुख जताया। उन्होंने आगे कहा कि कल्पना कीजिए कि एक अखबार ‘उपराष्ट्रपति की तरफ से फर्जी तस्वीरें पोस्ट करने’ की रिपोर्ट कर रहा है। जब ध्यान आकर्षित किया जाता है, तो अखबार माफी मांगता है। लेकिन मुझे पता है कि मैं आक्रामक नहीं हो सकता, मैं आधिकारिक कार्रवाई मोड में नहीं हो सकता। उपराष्ट्रपति ने देश में हाथ थामने, परामर्श देने की आदत विकसित करने की आवश्यकता महसूस की। उन्होंने कहा, हम अपनी मां या संस्थानों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। हमें उनका पोषण करना होगा। लोकतंत्र तब पोषित होता है जब मीडिया समेत इसके प्रत्येक संस्थान बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
संपादकीय का स्थान सबसे महत्वपूर्ण- जगदीप धनखड़
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि मीडिया नीति निर्माताओं और जनता के बीच एक पुल का काम करता है, उन्होंने कहा कि इसे पक्षपातपूर्ण हितों के साथ काम नहीं करना चाहिए क्योंकि यह आम आदमी और राष्ट्र के हित को प्रभावित करता है। एक कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने ने सुझाव दिया कि संपादकीय स्थान सभी के लिए बहुत महत्वपूर्ण होना चाहिए। वहीं उपराष्ट्रपति ने आश्चर्य जताया कि संपादकीय गायब क्यों हो रहा है। उन्होंने कहा कि संपादकीय फोकस लोगों को संवेदनशील बनाने पर होना चाहिए।
राष्ट्र-विरोधी विचारधाराओं पर अपना रुख स्पष्ट करें- जगदीप धनखड़
वहीं उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्र-विरोधी और फर्जी आख्यानों को बेअसर करने के लिए मशीन लर्निंग जैसी तकनीक के इस्तेमाल का भी सुझाव दिया। उन्होंने इस दौरान मीडिया से राष्ट्र-विरोधी विचारधाराओं और गलत सूचनाओं और भ्रामक सूचनाओं पर रुख स्पष्ट करने का आग्रह किया।