3 अक्तूबर से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो गई है, जिसकी धूम आपको घरों से लेकर मां दुर्गा के पंडालों तक में दिखाई दे रही होगी। जगह-जगह लोगों ने माता रानी की स्थापना की है। पंडालों से लेकर घरों तक में लोग माता से पहले स्वरूप की पूजा कर रहे हैं।
4 अक्तूबर यानी कि शुक्रवार को नवरात्रि का दूसरा दिन है। इस दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। मां ब्रह्मचारिणी को तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है। उनके दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमंडल होता है। मां ब्रह्मचारिणी को दूध, चीनी और पंचामृत का भोग लगाना काफी शुभ बताया गया है।इसी के चलते आज हम आपको सही विधि से पंचामृत बनाना सिखाएंगे। ताकि आप भी अपने हाथों से पंचामृत बनाकर माता रानी को इसका भोग लगा सकें। ऐसा करने से माता रानी का दूसरा स्वरूप आपसे जरूर प्रसन्न होगा और आपकी हर मनोकामना पूरी होगी।
क्या होता है पंचामृत
पंचामृत एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘पांच अमृत’। पंचामृत का उपयोग हिंदू धर्म में पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों में किया जाता है। ये खासतौर पर पांच तत्वों से मिलकर बना होता है, जो निम्नलिखित हैं।
पंचामृत बनाने का सामान
दूध – 1 कप
दही – 1/2 कप
घी – 1 चम्मच
शहद- 1 चम्मच
शक्कर
विधि
पंचामृत बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में 1 कप ठंडा दूध लें। अब दूध में 1/2 कप ताजा दही मिलाएं और इसे अच्छी तरह से घोल लें। ध्यान रखें कि दही दूध में अच्छी तरह से मिक्स हो जाना चाहिए।अब इसमें 1 चम्मच घी डालें और अच्छे से मिलाएं। इसके बाद 1 चम्मच शहद मिलाएं और फिर से मिश्रण को अच्छी तरह मिलाएं। अब इसमें 1 चम्मच शक्कर डालें और इसे घुलने तक अच्छी तरह से हिलाएं भोग लगाने से पहले इसमें तुलसी के पत्ते अवश्य डालें। सभी सामग्रियों को अच्छे से मिलाने के बाद पंचामृत तैयार है। इसे पूजा में माता रानी को अर्पित करें और बाद में इसे प्रसाद के रूप में वितरित करें।