कोलकाता: पश्चिम बंगाल में आंदोलनकारी जूनियर डॉक्टरों ने गुरुवार देर रात बैठक कर आंदोलन के भविष्य की रणनीति तय की। दरअसल वरिष्ठ चिकित्सकों के एक वर्ग ने जूनियर डॉक्टरों से आम मरीजों की परेशानियों को देखते हुए ‘पूरी तरह काम बंद करने’ के फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था।
पिछले महीने राज्य द्वारा संचालित सागर दत्ता अस्पताल में एक मरीज के परिवार द्वारा चिकित्सकों पर हमला किए जाने के बाद जूनियर डॉक्टरों ने 1 अक्टूबर को अपना ‘काम बंद’ आंदोलन फिर से शुरू कर दिया था। जिसके चलते राज्यभर में चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह से प्रभावित हुई हैं।
आज बैठक में हो सकता है अहम फैसला
आंदोलनकारी डॉक्टरों में से एक अनिकेत महतो ने कहा कि, हम शीघ्र ही आरजी कर अस्पताल में आम सभा की बैठक करेंगे। इसमें समय लग सकता है, लेकिन हम कल सुबह तक आपको अपने निर्णय से अवगत करा देंगे। आंदोलन कर रहे डॉक्टर से जब यह पूछा कि, क्या वे मरीजों की मौजूदा परेशानियों, बाढ़ की स्थिति और आगामी दुर्गा पूजा उत्सव के कारण आंदोलन को आंशिक रूप से वापस लेने पर विचार करेंगे? तो इस पर महतो ने जवाब दिया कि, हम हर चीज पर चर्चा करेंगे।
हमें वर्तमान स्थिति का आकलन करने की आवश्यकता है क्योंकि सुरक्षा के लिए हमारी मांगों पर सरकार ने अभी तक ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि, कई वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा ओपीडी जैसी सेवाओं को फिर से बहाल करने का अनुरोध किया है, जिस पर हम विचार कर रहे हैं, लेकिन “पूर्ण कार्य विराम” तब तक जारी रहेगा जब तक पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट औपचारिक रूप से अपने अगले कदम की घोषणा नहीं कर देता है।
वरिष्ठ डॉक्टरों ने ओपीडी शुरू करने की अपील की थी
आरजी कर अस्पताल में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख वरिष्ठ डॉक्टर मैत्रेयी बंद्योपाध्याय ने कहा कि, हम सभी बलात्कार-हत्या की शिकार हुई महिला डॉक्टर के लिए न्याय चाहते हैं। मेरा सुझाव है कि जूनियर डॉक्टर आंशिक रूप से काम बंद कर दें और आपातकालीन और ओपीडी सेवाएं जारी रखें। आंदोलन और काम एक साथ जारी रह सकते हैं।
इससे पहले 9 अगस्त को आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में एक साथी चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद जूनियर डॉक्टरों ने 41 दिनों तक पूर्ण रूप से काम बंद रखा था। राज्य के अधिकारियों के साथ विचार-विमर्श के बाद उन्होंने 21 सितंबर को अपनी हड़ताल समाप्त कर दी थी।