आगरा: आगरा के एत्माद्दौला स्मारक से सटी बगीची के कुएं का पानी पीकर अपना पेट दर्द ठीक करने के लिए महात्मा गांधी आए थे। बापू 95 साल पहले यमुना नदी के किनारे बसी इस बगीची में रुके थे।11 दिन तक वह यमुना किनारे की बगीची में रहे। पेट दर्द ठीक होने के बाद ही गए। आज उस आगरा में भूगर्भ जल लोगों को बीमार कर रहा है। पानी में फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा होने से पट्टी पचगईं, पचगाई खेड़ा और ग्वालियर रोड के गांवों में भूगर्भ जल पीने से लोगों की हड्डियां टेढ़ी हो रही हैं।
गांधी स्मारक में लगी पट्टिका में दर्ज है कि 11 से 21 सितंबर 1929 तक महात्मा गांधी यमुना पार बृजमोहन दास मेहरा की बगीची में कस्तूरबा गांधी, आचार्य कृपलानी, मीरा बहन और प्रभावती के साथ प्रवास के लिए आए थे। वह पेट दर्द से पीड़ित थे और उन्हें बताया गया था कि इस बगीची के कुएं के मीठे पानी से पेट दर्द दूर हो जाता है।
बापू यहां सिर्फ दो दिन के लिए आए थे, पर बगीची, कुआं और यमुना का किनारा उन्हें ऐसा भाया कि 11 दिन तक रुके। वर्ष 1948 में बृजमोहन दास मेहरा ने अपने पिता राम कृष्ण दास मेहरा की स्मृति में बगीची को महात्मा गांधी स्मारक ट्रस्ट को दान कर दिया।
पानी से बापू ठीक, अब लोग दिव्यांग हुए
यमुना किनारे बसे आगरा में भूगर्भ जल को रिचार्ज नहीं करने और अति दोहन से कई मुश्किल आ गईं। जिस आगरा में बापू स्वास्थ्य लाभ के लिए आए, वहां अब पचगाई खेड़ा, पट्टी पचगईं सहित 8 गांवों में फ्लोराइडयुक्त पानी से 1000 लोग दिव्यांग हो गए। 10 हजार से अधिक युवा बीमार हैं। फ्लोराइड की ज्यादा मात्रा के कारण तीन ब्लॉक में भूगर्भ जल पीने योग्य नहीं है। इनमें सैंया, एत्मादपुर और खंदौली है।
हाईकोर्ट में लगाई है शुद्ध पानी के लिए गुहार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पट्टी पचगईं निवासी गिरीश चंद्र शर्मा ने याचिका दायर की हुई है। उनकी याचिका में कहा गया है कि पट्टी पचगईं, पचगाई खेड़ा, देवरी, गढ़ी देवरी, नगला, रोहता, रोहता की गढ़ी, अस्तल और नगला भर्ती में करीब 25 हजार आबादी है।इनमें 1000 बच्चे, बुजुर्ग और महिलाएं दिव्यांग हैं। फ्लोराइडयुक्त पानी से इनके हाथ, पैर की हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी हो गई हैं। इन आठ गांवों में 10 बार टीटीएसपी, पाइपलाइन और ओवरहेड योजनाएं बनीं लेकिन फेल हो गईं।