नई दिल्ली: मुक्त व्यापार समझौते को लेकर भारत और 27 देशों वाले यूरोपीय संघ (ईयू) के बीच नौवें दौर की पांच दिवसीय वार्ता सोमवार से शुरू होगी। इस दौरान दोनों पक्ष द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देने को लेकर चर्चा करेंगे। वार्ता के दौरान यूरोपीय संघ के स्थिरता उपायों सीबीएएम, वनों की कटाई और अन्य के बारे में भारतीय हितधारकों की चिंताओं पर भी बात की जाएगी। इसके अलावा दोनों पक्ष वस्तुओं, सेवाओं, निवेश और सरकारी खरीद के साथ-साथ व्यापार में तकनीकी बाधाओं जैसे आवश्यक नियमों को शामिल करते हुए मुख्य व्यापार मुद्दों पर भी विचार रखेंगे।
जीटीआरआई ने कहा कि भारतीय कंपनियां कार्बन टैक्स, वनों की कटाई विनियमन और आपूर्ति श्रृंखला विनियमन जैसे नियमों के संभावित नकारात्मक प्रभावों के बारे में चिंतित हैं। ये नियम यूरोपीय संघ को भारत के निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि व्यापार समझौते के बाद यूरोपीय संघ के उत्पाद शून्य शुल्क पर भारत में प्रवेश करेंगे, लेकिन भारतीय उत्पादों को सीबीएएम शुल्क के बराबर 20-35 प्रतिशत टैरिफ का भुगतान करना पड़ सकता है। जून 2022 में भारत और यूरोपीय संघ ने आठ वर्ष बाद वार्ता फिर से शुरू की। कई मुद्दों पर मतभेद के कारण 2013 में इसे रोक दिया गया था।
शुरुआत में 2007 से 2013 तक कई दौर की बातचीत हुई, लेकिन बाजार पहुंच, बौद्धिक संपदा अधिकार, श्रम मानकों और सतत विकास पर असहमति के कारण बातचीत रुक गई। बताया जाता है कि देरी का एक बड़ा कारण दोनों पार्टियों के बीच अलग-अलग आकांक्षाएं हैं। जीटीआरआई ने कहा कि यूरोपीय संघ संवेदनशील कृषि उत्पादों और ऑटोमोबाइल सहित अपने 95 प्रतिशत से अधिक निर्यात पर टैरिफ उन्मूलन चाहता है, जबकि भारत अपने लगभग 90 प्रतिशत बाजार को खोलने में सहज है और थोक कृषि उत्पादों पर टैरिफ कम करने में झिझक रहा है।