अगरतला: बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों और आदिवासी समुदाय पर हो रहे हमलों पर भाजपा की सहयोगी टिपरा मोथा ने चिंता जताई। पार्टी ने एलान किया कि 26 सितंबर को हमलों के विरोध में एक रैली निकाली जाएगी।
पहले भी यह लोग निकाल चुके हैं रैली
वहीं, पार्टी के युवा शाखा यूथ टिपरा फेडरेशन (YTF) ने शनिवार को अगरतला में बांग्लादेश के सहायक उच्चायुक्त आरिफ मोहम्मद से बात कर शांति की अपील की थी। इससे पहले, वाईटीएफ, चकमा स्टूडेंट्स फेडरेशन और टिपरा इंडिजिनस स्टूडेंट्स फेडरेशन (टीआईएसएफ) के बैनर तले सैकड़ों लोगों ने चटगांव हिल ट्रैक में स्वदेशी लोगों पर हमले और हत्या के खिलाफ विरोध रैलियां निकाली थीं। बौद्ध भिक्षुओं ने भी शांति की अपील करते हुए रैली निकाली थीं।
300 साल पुरानी किताबें जलाई गईं
टिपरा मोथा के प्रमुख प्रद्युत देबबर्मा ने 26 सितंबर की रैली की घोषणा कर कहा, ‘यह पहली बार नहीं है जब बांग्लादेश में शेख हसीना के नेतृत्व वाली सरकार के गिरने के बाद बंगाली हिंदुओं और मूल निवासियों सहित अल्पसंख्यकों पर हमले हुए हैं। नोआखली और कोमिला जिलों में भी अल्पसंख्यकों पर हमले हुए। महाराजा बीर चंद्र पुस्तकालय में आग लगा दी गई और 300 साल पुरानी किताबें जला दी गईं।’
इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में उठाने का समय: देबबर्मा
केंद्र से इस मुद्दे को उठाने का अनुरोध करते हुए देबबर्मा ने कहा कि इसे संयुक्त राष्ट्र में उठाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि हम 26 सितंबर को बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले के विरोध में एक विशाल रैली करेंगे। हमारा युवा संगठन वाईटीएफ भी पड़ोसी देश में अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने के लिए रैली में शामिल होगा।