अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने बुधवार को ब्याज दरों में 50 बेसिस अंकों की कटौती का ऐलान कर दिया है। फेडरल रिजर्व ने इस कटौती के लिए महंगाई कम होने को लेकर कॉन्फिडेंस ज्यादा बढ़ने को मुख्य कारण बताया है।
मार्च 2020 के बाद पहली बार ब्याज दरों में कमी की गई है। अमेरिकी ब्याज दरों में कमी का असर गुरुवार को भारत समेत दुनिया के शेयर बाजार में दिखाई देगा। माना जा रहा है कि इससे शेयर मार्केट में तेजी आ सकती है। इस कटौती से पहले फेड रिजर्व की दरें 5.25 से 5.5 फीसदी के बीच थीं जो 23 साल में सबसे ज्यादा रहीं। ब्याज दरों में कमी की घोषणा के बाद नई ब्याज दर 4.75 से 5 फीसदी के बीच हो गई हैं। महंगाई के बीच अमेरिकी केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरें कम करने का दबाव भी था।
विशेषज्ञ उम्मीद जता रहे हैं कि इस साल अभी और 50 बेसिस अंकों की कटौती ब्याज दरों में हो सकती है। अमेरिकी केंद्रीय बैंक के नीति निर्माताओं ने कटौती की घोषण के साथ एक बयान में कहा, कमेटी इस बात को लेकर ज्यादा आश्वस्त है कि महंगाई 2 फीसदी के आसपास रहने की ओर बढ़ रही है। इसके साथ ही हमें अपने रोजगार और महंगाई लक्ष्यों में संतुलन बने रहने की भी उम्मीद है।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक की ओर से होने वाली इस कटौती का अर्थ है कि वहां के सरकारी बॉन्डों की ब्याज दरें भी कम हो जाएंगी। ऐसे में लोग बॉन्ड में पैसा लगाने के बदले शेयर बाजारों में ज्यादा निवेश करेंगे। इसका सीधा असर भारतीय व अन्य उभरते शेयर बाजारों पर देखने को मिलेगा क्योंकि ये बाजार पहले से ही निवेशकों को अपनी ओर आकर्षित करने में सफल हैं।
घोषणा से भी नहीं उछले बाजार
आम तौर पर ब्याज दरों में कटौती से शेयर बाजार में उछाल आता है लेकिन अमेरिकी शेयर बाजार इस घोषणा के बाद भी नीचे लुढ़क गए। माना जा रहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी ने फेडरल रिजर्व पर दरें घटाने का दबाव बना रखा था। हालांकि केंद्रीय बैंक ने घोषणा में किसी तरह के राजनीतिक दखल से इन्कार किया है।