मणिपुर : मणिपुर में राज्य सरकार की तरफ से नशे के खिलाफ की गई कार्रवाई और अतिक्रमण हटाओं अभियान को लेकर सीएम एन. बीरेन सिंह ने कहा कि ये दोनों कार्रवाई राज्य में किसी विशेष समुदाय के खिलाफ नहीं है। उन्होंने आगे बताया कि पिछले छह सालों में 60,000 करोड़ रुपये की नशीली दवाएं जब्त की गई हैं और 18,000 हेक्टेयर अफीम की खेती नष्ट की गई है और ऐसे अभियानों से प्रभावित लोग स्वाभाविक रूप से निराश होंगे।
‘नशा मुक्ति अभियान किसी समुदाय के खिलाफ नहीं’
राजधानी में प्रेस क्लब में ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन के स्वर्ण जयंती समारोह को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा, जब मैं मीडिया के पेशे में था, तो नशीली दवाओं के खतरे के कारण बड़ी संख्या में एचआईवी संक्रमित मामले सामने आए थे। इसलिए मैंने मुख्यमंत्री बनने के बाद नशीली दवाओं के मुद्दे को उठाने के बारे में सोचा, इसने पीढ़ियों को नष्ट कर दिया। लेकिन मैंने नशीली दवाओं के खिलाफ जिस युद्ध की घोषणा की है, वो किसी समुदाय के खिलाफ नहीं था।
‘पहाड़ी के साथ घाटी में भी चला अतिक्रमण हटाओ अभियान’
वहीं आरक्षित वनों में अतिक्रमण हटाने के लिए चलाए जा रहे अभियान पर, उन्होंने कहा, कि मैं जंगलों को बचाना चाहता था। ये कार्रवाई केवल पहाड़ियों में नहीं की गई थी। यहां तक कि घाटी के जिलों में भी, कई लोगों पर अतिक्रमण करने के लिए कार्रवाई की गई है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल मुख्यमंत्री के निर्वाचन क्षेत्र इंफाल पूर्व में हेइंगंग और थौबल में वेथौ में भी की गई थी।
‘हमने कभी किसी समुदाय के खिलाफ काम नहीं किया’
सीएम ने कहा, सरकार के अतिक्रमण हटाओ अभियान को एक समुदाय के खिलाफ कार्रवाई के रूप में देखा गया। लेकिन हमने कभी किसी समुदाय के खिलाफ काम नहीं किया और न ही हम ऐसा करेंगे। ये राज्य मान्यता प्राप्त 30 से अधिक जनजातियों का है और हर किसी को खुद को भारतीय और गौरवान्वित मणिपुरी समझना चाहिए।
‘अवैध अप्रवासी और ड्रग्स राज्य में अशांति की वजह’
वहीं सीएम ने राज्य में शांति लाने के तरीके पर रचनात्मक चर्चा पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि मैं सभी से अनुरोध करना चाहता हूं कि हमें एकजुट होने की जरूरत है क्योंकि यह एक कठिन समय है, हमें मीडिया में भी इस बात पर अधिक रचनात्मक चर्चा करने की जरूरत है कि शांति कैसे लाई जाए। सीएम बीरेन सिंह ने दावा किया कि अवैध अप्रवासियों की आमद और ड्रग्स के मुद्दे संकट का मूल कारण हैं।