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गंगा किनारे मना सकेंगे पिकनिक, अब 16KM का बनेगा रिवर फ्रंट, आईआईटी दोबारा करेगा सर्वे का अध्ययन

कानपुर: कानपुर में पिछले माह शहर आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की घोषणा के बाद 11 साल से प्रस्ताव में फंसी गंगा रिवर फ्रंट योजना को धरातल पर लाने के लिए अधिकारी फिर से सक्रिय हो गए हैं। 11 साल पहले आईआईटी की ओर से किए गए सर्वे को दोबारा उसी संस्थान से अध्ययन कराया जाएगा।

तब और अब में हुए परिवर्तन को देखते हुए योजना को मूर्तरूप देने की तैयारी है। अब गंगा रिवर फ्रंट चार किलोमीटर बढ़ाकर बैराज से किशनपुर तक विकसित किया जाएगा। जगह-जगह फूड हब-पिकनिक स्पॉट विकसित किए जाएंगे। 2013 में गंगा रिवर फ्रंट विकसित करने की योजना बनाई गई थी।

आईआईटी के सिविल डिपार्टमेंट के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओमकार दीक्षित ने विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों के सहयोग से इसे तैयार किया था। पर्यावरण, ट्रांसपोर्ट, हाइड्रोलिक स्टडी भी हुई थी। हाइड्रोलिक स्टडी में नदी की स्थिति, कटान, दबाव, गहरान, भविष्य में नदी के स्वरूप आदि का अध्ययन हुआ था।

12 किलोमीटर में विकसित होना था रिवर फ्रंट
गंगा रिवर फ्रंट को गंगा के किनारे-किनारे बैराज से जाजमऊ तक 12 किलोमीटर में विकसित होना था। योजना की अनुमानित लागत 103 करोड़ रुपये थी। बैराज और जाजमऊ में नए घाट, भैरोघाट, परमट घाट, सरसैया घाट, मेस्कर घाट, सिद्धनाथ घाट आदि के जीर्णोद्धार, कुछ स्थानों में पिकनिक स्पॉट, फूड हब, ग्रीनरी, पाथवे आदि विकसित किए जाने थे।

बजट के लिए विश्वबैंक को भेजा जाना था प्रस्ताव
2013 में ही विश्वबैंक के तत्कालीन अध्यक्ष यहां आए तो उनके सामने तत्कालीन मंडलायुक्त शालिनी प्रसाद, आईआईटी के सिविल डिपार्टमेंट के तत्कालीन विभागाध्यक्ष प्रोफेसर ओमकार दीक्षित, केडीए की तत्कालीन उपाध्यक्ष जयश्री भोज, तब के नगर आयुक्त एनकेएस चौहान, उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव आदि ने गंगा रिवर फ्रंट योजना का प्रस्तुतिकरण किया था।

कुछ वजहों से कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई
समन्वयक ने बताया कि विश्वबैंक के अध्यक्ष इस अध्ययन से काफी प्रभावित हुए थे। विश्व बैंक से वित्त पोषण के लिए राष्ट्रीय गंगा बेसिन अथॉरिटी (एनजीआरबी) के माध्यम से प्रस्ताव भेजा जाना था, पर कुछ वजहों से कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई।

राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक में सीएम ने ली थी जानकारी
14 दिसंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सीएसए में राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक हुई थी। इस बैठक में दो राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री सहित पांच राज्यों के मंत्री शामिल हुए थे। बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंगा रिवर फ्रंट योजना की जानकारी ली थी, पर कार्रवाई रुकी थी।