गोरखपुर: गोंडा रेल हादसे की प्रारंभिक जांच पूरी हो गई है। रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) की जांच में हादसे की वजह ट्रैक में गड़बड़ी बताई गई है। उन्होंने भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए हैं। सूत्रों की मानें तो इस मामले में तीन-चार अफसरों की जिम्मेदारी तय करते हुए कार्रवाई हो सकती है।
घटनास्थल के स्टेशन मास्टर को भी कॉसन लेने में तत्परता नहीं दिखाने का आरोपी बताया गया है। हालांकि, अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो रही है, लेकिन रिपोर्ट चर्चा में है।
बीते 18 जुलाई को चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से 1500 यात्रियों को लेकर डिब्रूगढ़ जा रही चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस गोंडा-मनकापुर रेलखंड के झिलाही स्टेशन के पास पटरी से उतर गई। ट्रेन के 14 डिब्बे पलट गए थे। इस ट्रेन के सेकंड एसी में 52, थर्ड एसी में 288, स्लीपर क्लास में 820 और जनरल डिब्बों में करीब 300 यात्री सवार थे।
हादसे में चार यात्रियों की मौत हो गई थी जबकि 25 घायल हो गए थे। घटना के तुरंत बाद सीआरएस जांच के आदेश दिए गए थे। अगले दिन ही सीआरएस ने मौके पर जाकर जांच शुरू करने के साथ ही अलग-अलग संरक्षा, सुरक्षा, सिग्नल, इंजीनियरिंग, यांत्रिक और ट्रैफिक से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों से पूछताछ की थी।
इसके अलावा स्वतंत्र गवाहों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया गया था। गोंडा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन दोपहर 2.25 बजे पहुंची और 2.28 बजे यहां से निकली। गोंडा मुख्यालय से करीब 18 किलोमीटर दूर मोतीगंज-झिलाही बाजार के बीच 2.41 बजे ट्रेन बेपटरी होकर पलट गई। एक-एक करके 14 कोच पटरी से उतर गए, जिनमें से छह पलट गए थे।
24 कोच वाली ट्रेन के इंजन के बाद एसी के छह कोच लगे थे, जिनमें दो कोच पटरी से उतरकर पलट गए। इसके बाद एसी के चार अन्य कोच भी पलट गए। हादसे के समय ट्रेन की रफ्तार करीब 90 किमी प्रतिघंटे से अधिक थी। चर्चा है कि खराब रेल पटरी पर तेज गति से ट्रेन गुजरी तो डिब्बे अनियंत्रित हो गए।
पहले दिन ही उठे थे ट्रैक पर सवाल
घटना के तत्काल बाद ही ट्रैक की हालत को लेकर सवाल उठने लगे थे। ट्रैक की निगरानी करने वाले एक कर्मचारी का मोबाइल ऑडियो भी लीक हुआ था, जिसमें पटरी खराब होने की जानकारी दी गई थी। घटना से कुछ देर पहले ही मरम्मत से पूर्व ट्रेनों को कॉशन पर चलाने की बात भी हुई थी, लेकिन जब तक निर्णय हो पाता, ट्रेन ट्रैक पर पहुंच चुकी थी। रेलवे सूत्रों के मुताबिक, रिपोर्ट के आधार पर इंजीनियरिंग विभाग से जुड़े जिम्मेदारों पर कार्रवाई हो सकती है।