कोरोना महामारी में सफलता के बाद सरकार ने अब टीका विज्ञान से अन्य संक्रामक रोगों से भी निपटने का फैसला लिया है। सरकार की इसी टीका नीति के तहत इस साल आठ नए टीकों के परीक्षण को मंजूरी मिली है, जिनमें टीबी से लेकर डेंगू संक्रमण तक शामिल हैं।
इन आठ में से चार ऐसे टीके हैं, जिनका परीक्षण अंतिम चरण में है। यह पूरा होने के बाद देश के करोड़ों लोगों को इनका लाभ मिल सकता है। इसमें निमोनिया और आरएसवी जैसे वायरस के खिलाफ भी टीके शामिल हैं। अनुमान है कि अगले एक से दो साल में यह सभी परीक्षण पूरे होंगे। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने सरकार के साथ साझा रिपोर्ट में बताया है कि इस साल जनवरी से लेकर अगस्त माह के बीच कुल छह फार्मा कंपनी को आठ अलग-अलग टीकों पर परीक्षण की अनुमति दी है। यह फैसला सरकार के नौ सदस्यीय विशेषज्ञ कार्य समिति (एसईसी) की सिफारिश पर लिया गया।
इन बीमारियों पर होगा वार
हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई कंपनी को डिप्थीरिया, टिटनस, पर्टुसिस (संपूर्ण कोशिका), हेपेटाइटिस बी (आरडीएनए), निष्क्रिय पोलियोमाइलाइटिस और हीमोफिलस इन्फ्लूएंजा प्रकार बी के टीका पर दूसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी है। इसी कंपनी को न्यूमोकोकल पॉलीसेकेराइड का टीका बनाने की मंजूरी भी मिली है जो न्यूमोकोकल रोग से बचाव कर सकती है। यह बीमारी न्यूमोकोकल बैक्टीरिया से होती है जो फेफड़ों का संक्रमण है। इसी तरह सरकार ने पेनेसिया बायोटेक कंपनी को डेंगू रोधी टीका पर तीसरे चरण के परीक्षण की मंजूरी दी है।
टीबी के खिलाफ लंबे समय से जंग : टीबी संक्रमण से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार पिछले काफी समय से बीसीजी टीके को लेकर काम कर रही है। इसके तहत हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी को बीसीजी टीका का टीबी रोग से बचाव के लिए परीक्षण की अनुमति दी है। परीक्षण के प्रारंभिक परिणामों के आधार पर सीडीएससीओ ने तीसरे चरण के परीक्षण को भी शुरू करने की अनुमति दी है।
ज्यादा दिन नहीं टिकेगा आरएसवी वायरस : सीडीएससीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हर साल रेस्पिरेटरी सिंकाइटियल वायरस (आरएसवी) से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। यह फेफड़ों और श्वसन पथ में संक्रमण का कारण बनता है। सरकार की टीका नीति सूची में यह भी शामिल है, जिसके लिए जीएसके कंपनी को तीसरे चरण के परीक्षण की अनुमति दी है।