Monday , December 23 2024
Breaking News

घरेलू आय में कमी को लेकर कांग्रेस का फूटा गुस्सा, केंद्र की तुलना शुतुरमुर्ग से की

नई दिल्ली: कांग्रेस ने एक बार फिर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उसने रविवार को दावा किया कि वेतन वृद्धि की धीमी गति और कमरतोड़ महंगाई के कारण वास्तविक मजदूरी में अभूतपूर्व गिरावट आई है। सबसे पुरानी पार्टी ने कहा कि ‘शुतुरमुर्ग’ की तरह सरकार भी भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष खड़ी सबसे बुनियादी चुनौती के प्रति आंखें बंद किए हुए है।

रिपोर्ट को केंद्र सरकार लगातार नकारती रही
कांग्रेस के संचार प्रभारी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि एक जाने माने ब्रोकरेज फर्म की नई रिपोर्ट ने एक बार फिर उस सच्चाई पर प्रकाश डाला है, जिसे केंद्र सरकार लगातार नकारती रही है कि भारत में वास्तविक घरेलू आय में लगातार गिरावट आ रही है। धीमी वेतन वृद्धि और कमरतोड़ महंगाई के कारण वास्तविक मजदूरी (महंगाई के हिसाब से समायोजित वेतन) या कहें कि आय में अभूतपूर्व गिरावट आई है।

10 साल पहले की तुलना में कम हो गई श्रमिकों की क्रय शक्ति
उन्होंने आगे कहा कि कई सर्वेक्षण और डेटा, जिनमें अपंजीकृत उद्योगों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASUSE), भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस डेटा और घरेलू उपभोक्ता व्यय सर्वेक्षण (HCES) शामिल हैं, ने कामकाजी वर्ग के भारतीयों के बीच वित्तीय संकट को दर्शाया है। सरकार के अपने आधिकारिक आंकड़ों सहित डेटा के कई स्रोतों ने इस बात के स्पष्ट प्रमाण भी दिखाए हैं कि श्रमिकों की क्रय शक्ति (खरीदारी करने की क्षमता) आज 10 साल पहले की तुलना में कम हो गई है।

इन चार क्षेत्रों का बताया आंकड़ा
उन्होंने कहा कि सबसे पहले श्रम ब्यूरो का वेतन दर सूचकांक (सरकारी डेटा) की बात करें तो श्रमिकों की वास्तविक मजदूरी 2014-2023 के बीच स्थिर रही। वहीं, साल 2019-2024 के बीच इसमें गिरावट आई है। उसके बाद कृषि मंत्रालय की कृषि सांख्यिकी (सरकारी डेटा) पर गौर करें तो डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में, खेतिहर मजदूरों की वास्तविक मजदूरी हर साल 6.8 फीसदी की दर से बढ़ी। जबकि नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में, खेतिहर मजदूरों की वास्तविक मजदूरी में हर साल माइनस 1.3 फीसदी की गिरावट आई है।