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मलयालम सिनेमा में महिलाओं की स्थिति पर हेमा कमेटी की रिपोर्ट पर हंगामा, सरकार से कार्रवाई की मांग

तिरुवनंतपुरम:  मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न पर न्यायमूर्ति हेमा समिति की रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे की चर्चा है। रिपोर्ट में महिलाओं के लिए सुरक्षित कामकाजी माहौल और महिला पेशेवरों के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने की बात कही गई है। विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ गठबंधन ने शिकायतों की जांच के लिए महिला आईपीएस अधिकारियों की एक टीम बनाने की मांग की है। वहीं राज्य महिला आयोग ने रिपोर्ट में बताए गए मुद्दों को हल करने के लिए अधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।

महिला संगठन ने जताई खुशी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कार्यस्थल पर महिलाओं का उत्पीड़न रोकने के लिए शिकायतों का निवारण POSH अधिनियम के तहत होना चाहिए। कार्यस्थल पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न रोकने के लिए साल 2013 में यह कानून बनाया गया था। हेमा समिति की रिपोर्ट को लेकर मलयालम सिनेमा उद्योग में महिला पेशेवरों के एक संगठन, वूमेन इन सिनेमा कलेक्टिव (WCC) ने खुशी जाहिर की और साथ ही उम्मीद जताई कि सरकार सिफारिशों का अध्ययन करने और उन पर कार्रवाई करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी। WCC लंबे समय से मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं से जुड़े मुद्दों को सुलझाने और वहां लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा आवश्यक हस्तक्षेप की मांग कर रहा है।

रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
समिति ने सोमवार को सीएम पी. विजयन को रिपोर्ट सौंपी। 295 पन्नों की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग से जुड़ीं 51 महिला पेशेवरों की गवाही है। रिपोर्ट में महिलाओं के साथ कास्टिंग काउच और खराब कामकाजी परिस्थितियों की बात बताई गई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि फिल्मों में भूमिकाएं हासिल करने के लिए महिलाओं को ‘समझौता’ करना पड़ता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एक ‘आपराधिक गिरोह’ मलयालम सिनेमा उद्योग को नियंत्रित कर रहा है, जहां महिलाओं को दबाया जा रहा है। पैनल की रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि मुट्ठी भर निर्माता, निर्देशक, अभिनेता और प्रोडक्शन कंट्रोलर मिलकर एक ‘शक्तिशाली गठजोड़’ चला रहे हैं जो पूरे सिनेमा उद्योग को नियंत्रित कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जो महिला कलाकार समझौता करने के लिए तैयार होती हैं, उन्हें कोड नाम दिए जाते हैं और जो झुकने के लिए तैयार नहीं होती हैं, उन्हें मैदान से बाहर कर दिया जाता है।