वाराणसी: जिले में करीब तीन हजार से अधिक वक्फ बोर्ड की संपत्ति है। इसमें पंजीकृत सिर्फ 1469 ही हैं। 1348 सुन्नी समुदाय की और 121 शिया समुदाय के नाम दर्ज है। अब केंद्र सरकार कानून में बदलाव कर रही है तो फिर वक्फ की संपत्ति चर्चा में आई है।राज्य सरकार ने 2022 में प्रशासन से वक्फ बोर्ड से जुड़ी संपत्तियों का आंकड़ा मांगा था। उस समय कहा गया था कि यदि बंजर, भीटा, ऊसर भूमि वक्फ के रूप में दर्ज है तो अब इसे खारिज कर पुन: बंजर, ऊसर भूमि राजस्व दस्तावेज में दर्ज किया जाए।
उसी दौरान अल्पसंख्यक विभाग ने शासन को आंकड़ा भेजा था। उसमें बताया था कि जिले में कुल जिले में वक्फ बोर्ड की 1469 प्रापर्टी पंजीकृत है। उसमें 1348 प्रापर्टी सुन्नी समुदाय से जुड़ी हुई है और 121 प्रापर्टी शिया समुदाय के नाम दर्ज है।दूसरी ओर जमीअतुल अंसार के महासचिव इशरत उस्मानी बताते हैं कि जिले में करीब तीन हजार से अधिक वक्फ की संपत्ति है, मगर किसी न किसी विवाद के चलते उनका पंजीकरण नहीं हो सका है। उन्हें भी पंजीकृत कराने की कवायद चल रही है।
ये है वक्फ बोर्ड की संपत्ति
वक्फ संपत्ति दो तरह की होती है। समुदाय से जुड़े लोग मस्जिद, इमामबाड़ा समेत अन्य धार्मिक कार्य के लिए अपनी जमीन बैनामा यानी वक्फ बाई डीड करते हैं। बैनामा की इस सपंत्ति को अलल औलाद भी कहते हैं। डीड में कुछ लोग अपने परिवार को देखरेख की जिम्मेदारी तय करते हैं। कुछ वक्फ के हवाले कर देते हैं। दूसरी संपत्ति वक्फ बाई यूजर है यानी अपनी जमीन धार्मिक प्रयोजन में स्वयं इस्तेमाल करते हैं।