नई दिल्ली: बैंकों ने पिछले पांच वित्तीय वर्षों में 9.90 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ किए हैं। सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में यह जानकारी दी। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने एक लिखित उत्तर में बताया कि 2023-24 के दौरान बैंकों की ओर से माफ ऋण 1.70 लाख करोड़ रुपये थे, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह 2.08 लाख करोड़ रुपये था।
चौधरी ने बताया कि 2019-20 के दौरान सबसे अधिक 2.34 लाख करोड़ माफ किए गए, जो अगले वर्ष घटकर 2.02 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में 1.74 लाख करोड़ रह गए। उन्होंने कहा कि आरबीआई के दिशा-निर्देशों और बैंकों के बोर्ड की ओर से अनुमोदित नीति के अनुसार एनपीए को संबंधित बैंक की बैलेंस-शीट से राइट-ऑफ के माध्यम से हटा दिया जाता है। चौधरी ने बताया कि 9.9 लाख करोड़ रुपये के राइट-ऑफ के मुकाबले, वसूली 1.84 लाख करोड़ रुपये की रही, जो पिछले 5 वर्षों में कुल राइट-ऑफ का सिर्फ 18% है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार व आरबीआई यूपीआई की वैश्विक पहुंच बढ़ाने के लिए विभिन्न पहल कर रहे हैं। अभी यह सात देशों भूटान, सिंगापुर, यूएई, फ्रांस, मॉरीशस, श्रीलंका व नेपाल में उपलब्ध है।
जनधन, बुनियादी बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जनधन के साथ-साथ बुनियादी बचत खातों और बैंकों में न्यूनतम शेष बनाए रखने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा िक बैंक केवल उन मामलों में जुर्माना लगाएं जहां ग्राहक अपने खातों में अपेक्षित राशि बनाए रखने में विफल रहते हैं। वित्त मंत्री मंगलवार को राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की ओर से पांच वर्षों में खातों में न्यूनतम शेष न रखने पर ग्राहकों से लगभग 8,500 करोड़ रुपये का जुर्माना वसूलने के संबंध में एक प्रश्न का उत्तर दे रही थीं।