वाराणसी : उत्तर प्रदेश के वाराणसी के राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ परिसर पर सरकार का अवैध कब्जा, भवनों के ध्वस्तीकरण के विरोध में सोमवार को जंतर-मंतर पर ध्यानाकर्षण सत्याग्रह आयोजित किया गया। इस सत्याग्रह में देशभर के गांधीजन और जन आंदोलन के प्रतिनिधि शामिल हुए। ये कार्यक्रम सरकार के अवैध कब्जे के एक वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित किया गया।
सत्याग्रह में शामिल हुए आंदोलनकारियों का आरोप है कि एक वर्ष पहले वाराणसी में रेल प्रशासन ने आचार्य विनोबा भावे की प्रेरणा से स्थापित राजघाट परिसर और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के प्रयास से निर्मित विश्व स्तरीय शोध केंद्र, गांधी विद्या संस्थान को खाली करवा दिया था। इसके बाद उन्हें गैरकानूनी तरीके से तोड़ दिया था। बनारस के आला अधिकारियों ने यह भी झूठ फैलाया कि सर्व सेवा संघ ने रेलवे की जमीन पर कब्जा कर रखा है।
जबकि सर्व सेवा संघ ने नॉर्दर्न रेलवे से 1960, 1961 और 1970 में तीन बैनामे के जरिए 12.89 एकड़ जमीन खरीदी थी। राजस्व अभिलेख- खतौनी में भी सर्व सेवा संघ का नाम दशकों से अंकित था। इससे पहले दिसंबर 2020 में तत्कालीन जिलाधिकारी ने इसी परिसर की जमीन के एक हिस्से को बलपूर्वक कब्जा कर गुजरात की एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को अपना वर्कशॉप बनाने के लिए दे दिया था।
जंतर-मंतर पर आयोजित हुए इस सत्याग्रह में संपूर्ण घटनाक्रम का विवरण देते हुए राष्ट्रपति को एक ज्ञापन दिया गया। इसमें यह मांग की गई है कि सर्व सेवा संघ प्रकरण की न्यायिक जांच की जाए, दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों व व्यक्तियों को दंडित किया जाए । वहीं गांधी विचार के इस ऐतिहासिक विरासत को क्षतिपूर्ति सहित सर्व सेवा संघ को वापस किया जाए।