मुंबई: एससी-एसटी आरक्षण से क्रीमी लेयर को लेकर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। अठावले ने कहा कि एससी-एसटी वर्ग की जातियों का उप वर्गीकरण किया जाना चाहिए। इससे समूह में पिछड़ी जातियों को लाभ मिलेगा। लेकिन SC-ST आरक्षण में क्रीमी लेयर का प्रावधान न लाया जाए। अगर ऐसा किया गया तो हमारी पार्टी इसका विरोध करेगी।
रिपब्लिकन पार्टी ऑन इंडिया (अठावले) के प्रमुख और सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने ओबीसी और सामान्य श्रेणी के सदस्यों के लिए भी समान उप-वर्गीकरण की मांग की। अठावले ने कहा कि एससी-एसटी के लिए आरक्षण जाति पर आधारित है। एससी और एसटी के आरक्षण में क्रीमी लेयर के प्रावधान लागू करने के किसी भी कदम का आरपीआई (ए) कड़ा विरोध करेगी।
अठावले ने कहा कि देश में 1,200 अनुसूचित जातियां हैं। इनमें से 59 महाराष्ट्र में हैं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के तहत महाराष्ट्र सरकार को अनुसूचित जातियों का अध्ययन करने और उन्हें ए, बी, सी, डी में उप-वर्गीकृत करने के लिए एक आयोग बनाना चाहिए। इससे एससी में आने वाली सभी जातियों को न्याय मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या है?
उच्चतम न्यायालय के सात न्यायधीशों की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि राज्य को सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने के लिए अनुसूचित जातियों का उप-वर्गीकरण करने का अधिकार है। फैसले का मतलब है कि राज्य एससी श्रेणियों के बीच अधिक पिछड़े लोगों की पहचान कर सकते हैं और कोटे के भीतर अलग कोटा के लिए उन्हें उप-वर्गीकृत कर सकते हैं। यह फैसला भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सात सदस्यीय संविधान पीठ ने सुनाया है। पीठ ने इस मामले पर तीन दिनों तक सुनवाई की थी और बाद 8 फरवरी, 2024 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सर्वोच्च अदालत की संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत से सुनाए ऐतिहासिक फैसले में हिस्सा रहे जस्टिस गवई ने कहा कि राज्यों को एससी, एसटी में क्रीमी लेयर की पहचान करनी चाहिए।