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दिव्यांग आश्रित पारिवारिक पेंशन का हकदार, दिव्यांगता प्रमाण पत्र पर अविश्वास नहीं किया जा सकता

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सीएमओ की ओर से जारी 60% दिव्यांगता प्रमाण-पत्र पर इस कारण अविश्वास नहीं किया जा सकता कि चार डॉक्टरों की टीम में कोई हड्डी रोग विशेषज्ञ नहीं था। यह भी आरोप नहीं है कि प्रमाणपत्र लेने में कोई कपट या धोखाधड़ी की गई है। कमेटी में स्पेशलिस्ट डॉक्टर न होने से सीएमओ की रिपोर्ट को अस्वीकार नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने सीनियर अकाउंट ऑफीसर पेंशन कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी लिमिटेड के दिव्यांग याची को पारिवारिक पेंशन देने से इन्कार करने के आदेश को रद्द कर दिया। साथ ही याची को एक माह में पेंशन का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस आधार पर पेंशन देने से इन्कार नहीं किया जा सकता कि याची कभी पीसीओ चलाता था, वह जीविका चला सकने में समर्थ है।

कोर्ट ने कहा कि शासनादेश में आश्रित दिव्यांग पुत्र/पुत्री को पारिवारिक पेंशन पाने का हकदार माना गया है। सीएमओ की रिपोर्ट में याची 60 फीसदी अक्षम माना गया है। कभी पीसीओ चलाता था, इस कारण पेंशन देने से इन्कार नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने मोहम्मद जमील की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।