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महाभारत काल से जुड़ा है कानपुर के इस शिव मंदिर का इतिहास, सावन में आप भी करें दर्शन

सावन का महीना हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है। इस पूरे महीने लोग भोलेनाथ की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करते हैं और शिव-शंकर को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। खासतौर पर अगर बात करें सावन के सोमवार की तो इस दिन बहुत से लोग महादेव के दर्शन करने शिवालय भी जाते हैं। ऐसे में हम आपको आज एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है।

महादेव का ये प्राचीन मंदिर देशभर में भक्तों की आस्था का केंद्र है। लोग मीलों दूर से इस मंदिर में महादेव के दर्शन करने आते हैं। बड़ी बात ये है कि मंदिर को छूकर वहां गंगा नदी निकलती है। हम बात कर रहे हैं कानपुर के बाबा आनंदेश्वर मंदिर की, जिसे परमट के नाम से भी जाना जाता है। सावन के सोमवार के दिन इस मंदिर में शिव भक्त कांवड़ लेकर भी पहुंचते हैं। लोगों के बीच इस मंदिर की काफी मान्यता है, आइए आपको इसके बारे में बताते हैं।

महाभारत काल से जुड़ा है इतिहास

बहुत से लोगों को इस बात की जानकारी नहीं हैं कि कानपुर के परमट मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में दानवीर कर्ण पूजा करने आते थे। इस मंदिर के पास से ही गंगा नदी भी बहती है, ऐसे में वो सबसे पहले गंगा नदी में स्नान करते थे, और उसके बाद ही महादेव की पूजा करते थे।

खास बात ये थी कि सिर्फ कर्ण को ही इस शिवलिंग के बारे में पता था। कर्ण गंगा में स्नान करने के बाद गुपचुप तरीके से महादेव की पूजा करते थे और उसके बाद विलुप्त हो जाते थे।

एक दिन आनंदी नाम की गाय ने उन्हें यहां पूजा करते देख लिया। उसके बाद से आनंदी गाय हर रोज आकर अपना सारा दूध वहीं छोड़ देती थी। जब उस स्थान की ग्रामीणों द्वारा खुदाई की गई तब वहां से यह शिवलिंग निकला, जिसके बाद उसी स्थान पर शिवलिंग को स्थापित किया गया। शिवलिंग मिलने के बाद उस गाय ने भी वहां अपना दूध बहाना बंद कर दिया। इसी वजह से इस मंदिर का नाम आनंदेश्वर पड़ गया।

दर्शन से पूरी होती है हर मनोकामना

पहले ये मंदिर एक टीले पर स्थापित था, लेकिन अब तो ये मंदिर काफी ज्यादा भव्य बन गया है। यहां शिवलिंग के साथ विह्नहर्ता गणपति महाराज, संकटमोचन हनुमान जी, श्रीहरि विष्णु भगवान और समस्त देवी-देवताओं की प्रतिमाएं विराजमान हैं।