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पहले के 30 मिनट सीट से हिल नहीं पाएंगे, आखिर के 30 मिनट एमसीयू की दिशा बदल देंगे

ऐसा हॉलीवुड फिल्मों में कम ही होता है और जब भी होता है कमाल ही होता है। अपनी अपनी शैली के दो दिग्गज कलाकार पहले किसी एक कमाल के निर्देशक के साथ अलग अलग काम कर चुके हों, दोनों कलाकार आपस में दोस्त भी हों और फिर एक दिन किस्मत मौका दे तीनों को एक साथ अमर, अकबर, एंथनी जैसा कुछ करने का! फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ में शॉन लेवी, रयान रेनॉल्ड्स और ह्यू जैकमैन ने ऐसा ही कुछ करने की कोशिश की है और काफी हद तक कामयाब भी रहे हैं। फिल्म को देखने के लिए आपको एमसीयू का सिलेबस याद करके आने की कतई जरूरत नहीं है, इस फिल्म को समझने के लिए जितना एमसीयू ज्ञान आपको चाहिए, इसके ज्ञानचंद फिल्म के दौरान ही दे देते हैं।

ध्यानचंद, ज्ञानचंद और करमचंद की तिकड़ी
फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ दरअसल एमसीयू के ध्यानचंद, ज्ञानचंद और करमचंद तीनों का लिटमेस टेस्ट जैसा है। साल 2022 और 2023 में एमसीयू की छह फिल्में और आठ वेब सीरीज ने एमसीयू के समर्पित भक्तों को भी बागी बनने पर मजबूर कर दिया। इन सारी किताबों को एमसीयू के क्लासरूम में बाहर फेंककर निर्देशन शॉन लेवी ने अपने पुराने दोस्त ह्यू जैकमैन को एक्स मैन सीरीज की आखिरी फिल्म ‘लोगन’ से उठाया और अपने कुछ ही साल पहले बने पक्के दोस्त रयान रेनॉल्ड्स को ‘डेडपूल’ से। फिर कहानी वहां से शुरू की जहां डिज्नी ने हॉलीवुड की दिग्गज कंपनी ट्वेंटिएथ सेंचुरी फॉक्स का अपने में विलय किया था। फिल्म में इसका विशालकाय पत्थर का बना लोगो धरती में धंसता दिखता भी है और यहीं से शॉन लेवी को एक्स मेन के दूसरे सितारे भी चमकते दिखाई देते हैं।

ध्रुव शक्ति और धरती बचाने की मुहिम
फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ देखने के लिए आपको बस इतना समझना है कि टाइम वैरिएंस अथॉरिटी (टीवीए) क्या है और मल्टीवर्स क्या है? अलग अलग कालखंडों में और अलग अलग धरतियों पर हो रही घटनाओं पर नजर रखने वाली ये एजेंसी इस बार डेडपूल को उठा ले जाती है। डेडपूल को अलग अलग दुनियाओं में भटकने का मौका मिलता है तो इस जानकारी के बाद कि उसकी अपनी दुनिया बस अगले 72 घंटों में नष्ट होने वाली है। समय में आगे-पीछे डोलती इस कहानी की ‘ध्रुव शक्ति’ उसे तमाम यूनिवर्स में भटकने के बाद मिलती है। दोनों एक दूसरे से अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की तरह लड़ते हैं। हैं तो एक दूसरे की जान के प्यासे लेकिन एक दूसरे के बिना रह भी नहीं सकते। आगे मामला हिंदी फिल्मों जैसा ही है। शाकाल टाइप की एक विलेन भी है, जिसे दूसरों के दिमाग में ‘उंगली’ करने की खराब आदत है।

अजीब दास्तां है ये, कहां शुरू, कहां खत्म!
शुरू के 30 मिनट फिल्म कमाल है। यूं लगता है कि रयान रेनॉल्ड्स ने फिल्म ‘किल’ के कत्लों का रिकॉर्ड तोड़ने का प्रण कर लिया है। इतना खून खराबा परदे पर मचता है लेकिन दर्शक उसमें भी मजे लेते दिखते हैं। वीभत्स, रौद्र, वीर और भयानक सारे रस एक दूसरे में गुत्थमगुत्था होते जाते हैं और बीच बीच में हास्य का छौंका माहौल को महकाए रखने की पूरी कोशिश करता है। कहानी तय हो जाती है। दोनों सुपरहीरो एक दूसरे से मिल भी जाते हैं। बस इसके बाद लेखक टी ब्रेक ले लेते हैं। कहानी नीचे गोता लगाती है और इसके पहले कि बीते दो साल की एमसीयू की अधिकतर फिल्मों की तरह ये फिल्म और गहरा गोता लगाए, पांच पांडव सरीखे फिल्म के पांच लेखक मिलकर ‘महाभारत’ संभाल लेते हैं। फिल्म हॉलीवुड में ‘आर’ श्रेणी में पारित है और अपने यहां ‘ए’ यानी ‘वयस्कों के लिए’ से ऊपर कोई दूसरी श्रेणी होती नहीं। बस सोच लीजिए कि ‘सेक्रेड गेम्स’ के दौर के अनुराग कश्यप अगर डिज्नी की कोई फिल्म निर्देशित करते तो क्या होता, फिल्म ‘डेडपूल एंड वूल्वरिन’ वही फिल्म है।