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पति-पत्नी को अलग बिस्तर पर सोने की जरूरत क्यों? जानिए क्या है स्लीप डिवोर्स

अगर आप भी अपने साथी के खर्राटों या उनके अजीब तरह से सोने के तरीकों से परेशान हैं तो उनसे ‘स्लीप डिवोर्स’ ले लें। घबराइए मत, यह डिवोर्स रिश्ते तोड़ता नहीं, बल्कि उन्हें मजबूत बनाता है। नेहा की शादीशुदा जिंदगी पटरी पर चल रही है। कोई मनमुटाव नहीं, कोई झगड़ा नहीं। फिर भी रात में नेहा अपने पति के साथ न सोकर अलग कमरे में सोती है। एक दिन उसके घर आई सहेली ने हैरान होते हुए इसकी वजह पूछी, क्योंकि उसे लगा कि झगड़ा हुआ है। पर नेहा ने हंसते हुए समझाया, “हमारा कोई झगड़ा नहीं हुआ, बस ‘स्लीप डिवोर्स’ किया है।” नेहा की सहेली यह टर्म पहली बार सुन रही थी।

डिवोर्स शब्द सुनते ही हमारे मन में दो व्यक्तियों के बीच अलगाव होने की छवि उभती है, लेकिन ‘स्लीप डिवोर्स’ में ऐसी कोई बात नहीं। अलग-अलग सोने का बस यही मतलब है कि आपकी नींद की जरूरतें आपके साथी की जरूरतों से मेल नहीं खाती हैं। इसमें संबंधों में कुछ भी अटपटा नहीं है और यह सामान्य है। असल में, नेहा अपने पति से अलग दूसरे कमरे में सिर्फ इसलिए सोती है, ताकि रात में वह शांति से चैन की नींद ले सके। पति से दूर अलग बिस्तर या अलग कमरे में सोने की इसी अवधारणा को ‘स्लीप डिवोर्स’ कहा जाता है।

भोपाल के रहने वाले सुमित एक आईटी प्रोफेशनल हैं। वह अपनी पत्नी के लगातार खर्राटों के कारण रात में सो नहीं पा रहे थे, जिस कारण उनकी सेहत बिगड़ रही थी। इस सिलसिले में उन्होंने मनोचिकित्सक से संपर्क किया और रात में चैन से सोने के लिए दवाएं देने का अनुरोध किया, लेकिन मनोचिकित्सक ने उन्हें स्लीप डिवोर्स करने की सलाह दी। सुमित ने अपनी पत्नी से बात की और अलग दूसरे कमरे में सोने लगे। आज वह इस परेशानी से उभर चुके हैं।

स्लीप डिवोर्स टर्म का पहली बार प्रयोग कब हुआ, यह ठीक-ठीक कह पाना मुश्किल है। लेकिन 2013 से ही इस टर्म को पत्र-पत्रिकाओं में पढ़ा जा सकता है। अच्छी नींद और सेहत से जुड़े कई हालिया शोधों में भी यह टर्म तेजी से उभरकर सामने आया है। कई विशेषज्ञ अच्छी सेहत को अच्छी नींद से जोड़ते हैं। उनका मानना है कि स्लीप डिवोर्स से न सिर्फ रिश्ते मजबूत होते हैं, बल्कि सेहत भी सुधरती है।