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साढ़े सात वर्ष में 1.87 लाख से अधिक मरीजों को दी गई 32.31 अरब की आर्थिक सहायता

लखनऊ: योगी सरकार ने दावा किया है कि बीते साढ़े सात वर्ष में 1.87 लाख से अधिक मरीजों को 32.31 अरब की आर्थिक सहायता दी गई यानी 2012 से 2017 की अपेक्षा पीड़ितों के इलाज के लिए कई गुना धनराशि आवंटित की गई। सीएम योगी ने जनता दर्शन-जनप्रतिनिधियों, जनता द्वारा भेजे गए प्रार्थना पत्र के आधार पर पीड़ितों के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई।

घरवालों के साथ सीएम योगी ने भी पकड़ा शिवम का हाथ
गोरखपुर के शिवम शुक्ला की आयु महज 29 वर्ष है। एक दिन अचानक माता-पिता को पता चला कि शिवम को किडनी की समस्या हो गई। उनका इलाज दिल्ली में होने लगा। अपनी सामर्थ्य के अनुरूप माता-पिता ने इलाज शुरू कराया। धीरे-धीरे जब पैसे की जरूरत पड़ने लगी तो अपने विधायक से पत्र लिखवाया। यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय पहुंचा तो कागजी कार्रवाई के तत्काल बाद शिवम के इलाज के लिए धनराशि दी गई। शिवम के भाई शशांक कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में निश्चित समयावधि के भीतर ही सारी प्रक्रियाएं कर इलाज के लिए पैसे आवंटित कर दिए गए। ईश्वर की कृपा से भाई अब शानदार व सरल जीवन व्यतीत कर रहा है।

नवनीत पांडेय के परिवार के लिए यह राशि बनी काफी कारगर
कप्तानगंज के नवनीत पांडेय को भी किडनी की बीमारी हुई। उनकी पत्नी ने उन्हें डोनेट किया। दोनों का छोटा बेटा है। इलाज में शारीरिक परेशानियों के अलावा आर्थिक परेशानी बड़ी टेंशन बनी तो मुख्यमंत्री राहत कोष की याद आई। नवनीत के परिजनों ने सारी कागजी कार्रवाई पूरी की, फिर निश्चित समयावधि में पीजीआई में उनके इलाज के लिए धन आवंटित किया गया। नवनीत और उनकी पत्नी दोनों सकुशल जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बातचीत में उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ के इस कार्य के प्रति आभार जताते हुए उनके लिए दुआएं भी कीं।

2012 से 2017 के दौरान इलाज के लिए दी गई धनराशि
2012 से लेकर 2017 तक मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से वित्तीय वर्ष 2012-13 में 3362 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपये, वित्तीय वर्ष 2013-14 में 4361 लोगों को 31 करोड़ 37 लाख नौ हजार 500 रुपये, वित्तीय वर्ष 2014-15 में 5284 लोगों को 44 करोड़ 98 लाख 80 हजार 750 रुपये, वित्तीय वर्ष 2015-16 में 7762 लोगों को 98 करोड़ 34 लाख 42 हजार 747 और वित्तीय वर्ष 2016-17 में 10431 लोगों को एक अरब 64 करोड़ 94 लाख 17 हजार 732 रुपये की मदद दी गई थी। वहीं योगी सरकार बनने के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ गया।