हृदय रोगों के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, आनुवांशिकता और जन्मजात स्थितियों को छोड़ दिया जाए तो हृदय रोग के अधिकांश कारकों को नियंत्रित करके इस गंभीर समस्या से सुरक्षित रहा जा सकता है। मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल, हाई ट्राइग्लिसराइड्स के अलावा शुगर बढ़ने, आहार-दिनचर्या में गड़बड़ी के कारण हृदय से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं।नियमित रूप से इनकी जांच और बचाव के लिए उपाय कर लिए जाएं तो हृदय रोग सहित कई बीमारियों से भी सुरक्षित रहा जा सकता है। इस लेख में हम ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने के कारण और इससे बचाव के बारे में जानेंगे।
स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं, ट्राइग्लिसराइड्स हृदय स्वास्थ्य का पता लगाने के लिए महत्वपूर्ण पैमाना है। जिन लोगों का ट्राइग्लिसराइड बहुत अधिक बढ़ा रहता है उनमें हृदय रोग और हार्ट अटैक जैसी जानलेवा स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है। आहार और लाइफस्टाइल को ठीक रखकर ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को नियंत्रित रखा जा सकता है।
ट्राइग्लिसराइड्स और इसके कारण होने वाली समस्या
ट्राइग्लिसराइड्स एक प्रकार का फैट हैं जिसे लिपिड कहा जाता है। ट्राइग्लिसराइड्स कुछ प्रकार के खाद्य पदार्थों, विशेष रूप से मक्खन, तेल और अन्य वसा वाले स्रोतों से आते हैं। वैसे तो इसे हानिकारक नहीं माना जाता है पर अगर इसकी मात्रा अधिक हो जाए तो इससे कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा हो सकता है।
जो लोग नियमित रूप से सीमित मात्रा से अधिक कैलोरी का सेवन करते हैं, विशेष रूप से हाई कार्बोहाइड्रेट वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने का खतरा रहता है।
क्यों बढ़ता है ट्राइग्लिसराइड?
खून की जांच में ट्राइग्लिसराइड्स का स्तर 200 मिलीग्रा/डीएल से अधिक होना हानिकारक माना जाता है।सिंपल कार्बोहाइड्रेट जैसे कि चीनी-सफेद आटा या फ्रुक्टोज से बने खाद्य पदार्थों के अधिक सेवन के कारण ट्राइग्लिसराइड्स बढ़ने का जोखिम रहता है। इसके अलावा अधिक वजन वाले लोगों में भी इसका जोखिम रहता है।
क्या एक ही चीज है कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड?
कहीं आप भी तो कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड को एक ही नहीं मानते आ रहे हैं? ये दोनों अलग-अलग हैं।
ट्राइग्लिसराइड्स, शरीर द्वारा उपयोग न की गई कैलोरी को संग्रहीत करता है और आपके शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है।
कोलेस्ट्रॉल का उपयोग कोशिकाओं और कुछ हार्मोन बनाने के लिए किया जाता है।
हाई ट्राइग्लिसराइड का स्तर स्ट्रोक और अग्न्याशय में सूजन के साथ-साथ अन्य गंभीर स्वास्थ्य स्थितियों के जोखिम को बढ़ा देता है। वहीं कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से धमनियों में जमाव हो सकता है जिससे एथेरोस्क्लेरोसिस नामक समस्या होती है। ये हार्ट अटैक के प्रमुख कारकों में से एक है।
ट्राइग्लिसराइड को कैसे करें कंट्रोल?
आहार और दिनचर्या में कुछ आवश्यक बदलाव करके ट्राइग्लिसराइड को बढ़ने से रोकने या इसे नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है।हरी सब्जियों को वैसे तो सेहत के लिए कई प्रकार से लाभकारी माना जाता है पर जिन लोगों का ट्राइग्लिसराइड बढ़ा हुआ रहता है उन्हें स्टार्च वाली सब्जियों जैसे मकई और मटर आदि के अधिक सेवन से बचना चाहिए। इसके अलावा शराब पीने वालों में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड दोनों का स्तर बढ़ने का जोखिम देखा जाता रहा है। हृदय स्वास्थ्य को ठीक बनाए रखने के लिए शराब और धूम्रपान दोनों से दूरी बनाकर रखना आवश्यक माना जाता है।