सरकार पूर्ण बजट में देश को वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाने और घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए इस्पात, सौर बैटरी, एल्युमीनियम और लिथियम सेल सहित विभिन्न क्षेत्रों में सीमा शुल्क को युक्तिसंगत बना सकती है। इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स (आईसीसी) के अध्यक्ष अमेय प्रभु ने कहा, कच्चे माल पर शुल्क से घरेलू कंपनियों और खासकर डाउनस्ट्रीम इकाइयों पर असर पड़ता है। इसलिए, इन क्षेत्रों में घरेलू उद्योग को बढ़ाने के लिए सुरक्षात्मक उपायों की आवश्यकता है। इन उपायों के जरिये हम घरेलू विनिर्माण को मजबूती से बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक केंद्र बना सकते हैं।
मिश्रित पेट्रोलियम गैस पर शुल्क 2.5 फीसदी करने की सिफारिश
आईसीसी अध्यक्ष ने कहा, मिश्रित पेट्रोलियम गैस पर शुल्क को पांच फीसदी से घटाकर 2.5 फीसदी किया जाना चाहिए। ऐसा कर उलटे शुल्क ढांचे में सुधार लाया जा सकता है। उन्होंने सरकार से लाभांश पर कर नही लगाने की भी सिफारिश की है।
राजकोषीय घाटे व वृद्धि पर रह सकता है जोर
अर्थशास्त्री संदीप वेम्पति का मानना है कि मोदी सरकार तीसरे कार्यकाल के पहले बजट में राजकोषीय घाटा लक्ष्य और आर्थिक वृद्धि पर जोर दे सकती है। उन्होंने कहा, आरबीआई से अधिक लाभांश मिलने व कर संग्रह में उछाल से राजकोषीय स्थिति बेहतर हुई है। सरकार चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को 5.1 फीसदी पर सीमित रखने व 2025-26 तक इसे 4.5 फीसदी से नीचे लाने के लक्ष्य पर टिकी रह सकती है।
अर्थशास्त्री ने कहा, सरकार इस बजट का इस्तेमाल 2030 और 2047 के लिए आर्थिक दृष्टिकोण का संदेश देने के लिए करेगी। इसके लिए वह पूंजीगत खर्च में वृद्धि, कर प्रोत्साहन, ग्रामीण विकास, विनिर्माण, एमएसएमई, स्वास्थ्य व शिक्षा पर खर्च बढ़ा सकती है।