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शरद पवार पर निशाना साधने के बाद उनसे मिलने पहुंचे अजित गुट के छगन भुजबल, सियासी गलियारों में हलचल

मुंबई: महाराष्ट्र की राजनीति में सोमवार को एक अलग ही समीकरण देखने को मिला। एक दिन पहले जिस नेता को शरद पवार पर मराठा आरक्षण की बैठक में शामिल नहीं होने के लिए जमकर निशाना साधते देखा गया था, वहीं आज उन्हें उनसे मुलाकात करते देखा गया। जी हां, हम राज्य मंत्री छगन भुजबल की बात कर रहे हैं। दरअसल, पहले से ही ऐसी खबरें आ रही थीं कि महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार गुट के कुछ नेता नाराज हैं और वो शरद पवार के साथ जा सकते हैं। इसी बीच, सोमवार को अचानक ही अजित गुट के दिग्गज नेता भुजबल शरद पवार से मुलाकात करने के लिए पहुंच गए।

एक दिन पहले किया था हमला
ये मुलाकात ऐसे वक्त पर हुई है, जब एक दिन पहले ही छगन भुजबल ने शरद पवार पर जोरदार हमला किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र में जिस तरह मराठा आरक्षण पर लोगों को भड़काया जा रहा है, उसके पीछे शरद पवार ही हैं और अब आज वह उनसे मिलने उनके घर ‘सिल्वर ओक’ पहुंच गए।

मुलाकात की वजह साफ नहीं
उन्होंने अभी तक मुलाकात की कोई वजह नहीं बताई है। खबरों की मानें तो शरद पवार और छगन भुजबल के बीच यह मुलाकात मराठा बनाम ओबीसी के बीच हो रही लड़ाई के चलते हुई है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने नौ जुलाई को ओबीसी के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई थी, लेकिन इसमें विपक्ष का कोई नेता शामिल नहीं हुआ था। इससे पहले रविवार को छगन भुजबल ने बारामती में शरद पवार का नाम लिए बिना उन पर दो समाज के बीच दरार डालने का आरोप लगाया था।

बारामती से फोन आने के बाद आरक्षण की बैठक में नहीं आए एमवीए नेता
भुजबल ने दावा किया था कि आरक्षण को लेकर होने वाली बैठक में महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता इसलिए नहीं आए थे, क्योंकि उन्हें बारामती से फोन आ गया था। बता दें कि बारामती लोकसभा सीट शरद पवार का गढ़ मानी जाती है।

एनसीपी के अंदर दरार?
एनसीपी के सूत्रों का कहना है कि भुजबल को लग रहा था कि पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। वह अजित पवार के संगठन के साथ हैं, लेकिन पार्टी के भीतर राजनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ गए हैं।

भुजबल की शरद पवार के साथ मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर राज्य के मंत्री और भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि महाराष्ट्र में यह परंपरा रही है कि राजनीतिक नेता वैचारिक मतभेदों से परे रहते हुए आपस में चर्चा करते हैं। दो नेताओं के बीच हर बातचीत की जांच करना और समय से पहले कुछ भी बोलना गलत है।