सर्वोच्च न्यायालय कल बीआरएस प्रमुख के. चंद्रशेखर राव की याचिका पर सुनवाई करेगा। राव ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती है। उच्च न्यायालय ने उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बिजली क्षेत्र में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए आयोग के गठन को अवैध घोषित करने की मांग को खारिज कर दिया था। मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ राव की याचिका पर सुनवाई करेगी।
पूरा मामला क्या है
दरअसल, राव के मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान बिजली वितरण कंपनियों द्वारा छत्तीसगढ़ से बिजली की खरीद और मुनुगुरु में भद्राद्री ताप विद्युत संयंत्र व टीएसजीईएनसीओ द्वारा दामरचेरला में यादाद्री ताप विद्युत संयंत्र के निर्माण के फैसले लिए गए थे। तेलंगाना सरकार ने इन फैसले को शुद्धता और औचित्य की जांच करने के लिए एक जांच आयोग गठित करने का आदेश दिया है। राव ने इस आदेश को अवैध घोषित करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था। लेकिन उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। इसके बाद राव ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया।
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से हार गई थी बीआरएस
टीएसजीईएनसीओ तेलंगाना राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड का संक्षिप्त नाम है। राव के नेतृत्व वाली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) 2023 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से हार गई थी।
उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में क्या कहा
उच्च न्यायालय के एक जुलाई के फैसले के खिलाफ अपनी याचिका में राव ने पक्षपात का आरोप लगाया है। उन्होंने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) एल. नरसिम्हा रेड्डी को आयोग के प्रमुख के रूप में जारी न रखने की मांग की। इसके बाद उच्च न्यायालय ने अपने 22 पन्नों के फैसले में कहा था कि राव की ओर से अदालत में पेश की गई सामग्री से ऐसा संकेत नहीं मिलता है कि प्रतिवादी नंबर तीन (एल. नरसिम्हा रेड्डी) ने उनके समक्ष लंबित मुद्दों पर पहले से फैसला किया है। उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकता कि प्रतिवादी मुख्य न्यायाधीश के संवैधानिक पद पर रहे हैं।