तंबाकू की लत से छुटकारा पाने के लिए सरकार ने देश के सभी मेडिकल कॉलेजों में अलग से क्लीनिक शुरू करने का फैसला लिया है। शुक्रवार को नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने इसका आदेश भी जारी किया है, जिसमें कहा है कि यह क्लीनिक नशा मुक्ति केंद्र की तरह संचालित होंगे। सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में अलग से रोजाना ओपीडी संचालित होगी।
एनएमसी के सचिव डॉ. बी श्रीनिवास ने देश के 706 मेडिकल कॉलेजों को लिखे आदेश में कहा है कि मेडिकल कॉलेजों के मनोरोग विभाग के अधीन यह विशेष क्लीनिक संचालित किया जा सकता है। जिन कॉलेजों ने अपने आसपास के क्षेत्रों को गोद लिया है, वहां विशेष तौर पर निगरानी रखी जा सकती है। इसके अलावा गांव और कस्बों की आबादी को इसमें शामिल करने के लिए टीमें तैनात की जा सकती हैं।
13.50 लाख मौतें होती है देश में हर साल
दुनियाभर में तंबाकू की वजह से हर साल लगभग 80 लाख लोगों की मौत हो रही है। इनमें करीब 13.50 लाख मौतें भारत में हो रही हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि भारत तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता व उत्पादक देश है।
सरकार के प्रयास से देखने को मिलेगा बदलाव
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के पूर्व पल्मोनरी विभागाध्यक्ष डॉ. जीसी खिल्लानी का कहना है कि देश की 28.6 फीसदी आबादी धूम्रपान के अलावा गुटखा, खैनी, पान मसाला का शौक रखती है। इसके अलावा शराब, ई सिगरेट और अन्य तरह के नशे का शिकार होने वालों की संख्या अलग है। उन्होंने सरकार के इस आदेश की सराहना करते हुए कहा कि तंबाकू छोड़ना मुश्किल हो सकता है, लेकिन यह नामुमकिन कतई नहीं है। इसके लिए आत्मविश्वास और कुछ दवाओं का सहारा लेने की आवश्यकता होती है। सभी मेडिकल कॉलेजों में इसका क्लीनिक शुरू होने से अगले कुछ वर्षों में बदलाव जरूर देखने को मिलेगा।
चार राज्यों में 93 फीसदी उत्पादन
केंद्र सरकार के कृषि और किसान कल्याण विभाग के अनुसार, देश के चार राज्यों में ही तंबाकू के कुल उत्पादन का 93 फीसदी तंबाकू पैदा किया जाता है। इसमें गुजरात सबसे आगे है, जहां से 47.75 फीसदी तंबाकू आता है। 23.08 फीसदी के साथ दूसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश है। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 12.23 फीसदी और कर्नाटक में 10.38 फीसदी तंबाकू का उत्पादन किया जाता है।