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जलवायु परिवर्तन के कारण जलचक्र प्रभावित, 2030 तक 70 करोड़ लोग पानी के लिए घर छोड़ने को होंगे मजबूर

नई दिल्ली: जलवायु परिवर्तन के कारण दुनिया का जलचक्र भी प्रभावित हो रहा है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनियाभर में जल संकट कितना गंभीर हो चुका है इसका अंदाजा संयुक्त राष्ट्र की ओर जारी आंकड़ों से भी लगाया जा सकता है। इसके मुताबिक दुनिया में चार करोड़ से ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें साल में कम से कम एक महीने पानी की कमी से जूझना पड़ता है।

2025 तक दुनिया की आधी आबादी उन क्षेत्रों में रह रही होगी जहां पानी की कमी है। इतना ही नहीं 2030 तक करीब 70 करोड़ लोग पानी की भारी कमी के चलते अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाएंगे। पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च से जुड़े वैज्ञानिकों ने अध्ययन में जानकारी दी है कि अगले 26 वर्षों में जलापूर्ति पर पड़ने वाले दबाव की वजह से पानी पर करीब 30 फीसदी अतिरिक्त समय देना होगा। सबसे ज्यादा बोझ महिलाओं और बच्चियों पर पड़ेगा।

जलवायु परिवर्तन दबे पांव लोगों के जीवन में कर रहा है घुसपैठ
अध्ययन से जुड़े पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट के प्रमुख शोधकर्ता रॉबर्ट कैर का कहना है कि जलवायु में आ रहा बदलाव, बारिश के पैटर्न को प्रभावित कर रहा है। नतीजन पानी की उपलब्धता भी प्रभवित हो रही है। 2050 तक उच्च उत्सर्जन परिदृश्य में महिलाएं को पानी भरने में लगने वाला यह समय 30 फीसदी बढ़ सकता है।

भारत, पाक और उत्तरी अफ्रीका के देश भी अछूते नहीं रहेंगे
शोधकर्ताओं ने अनुमान है कि जल एकत्रण के समय में भारत, पाकिस्तान और उत्तरी अफ्रीका के देशों पर भी गहरा असर पड़ेगा। भारत का जल संकट एक जटिल मुद्दा है जो कई कारकों से उपजा है। तेजी से हो रहे शहरीकरण, औद्योगिकीकरण और असंवहनीय कृषि पद्धतियां पानी की बढ़ती मांग में योगदान करती हैं।

चार महाद्वीपों के 347 क्षेत्रों में प्रकाशित सर्वेक्षणों का विश्लेषण
इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 1990 से 2019 के बीच चार महाद्वीपों के 347 क्षेत्रों में प्रकाशित घरेलू सर्वेक्षणों के आंकड़ों का विश्लेषण किया है।
इससे उन्हें यह समझने में मदद मिली कि कैसे जलवायु में आ रहा बदलाव जल उपलब्धता व उसको एकत्र करने में लगने वाले समय को प्रभावित कर रहा है। शोध से पता चला है कि बढ़ते तापमान व बारिश की कमी ने इस समस्या को ज्यादा विकराल बना दिया है।

पानी जुटाने में लग रहा ज्यादा वक्त
जलवायु परिवर्तन की वजह से पानी को इकट्ठा करने में लगने वाला समय प्रभावित हो रहा है। जिन क्षेत्रों में जलापूर्ति नहीं है वहां रहने वाली महिलाओं को भविष्य में पानी भरने में कहीं ज्यादा समय देना होगा। वैश्विक स्तर पर जिन घरों में पानी की सप्लाई नहीं है उन्हें पानी एकत्र करने में हर दिन औसतन 22.84 मिनट का समय लगता है। यह समय इंडोनेशिया के कुछ हिस्सों में चार मिनट से लेकर दक्षिण अमेरिका, अफ्रीकी देशों और दक्षिण पूर्व एशिया के कुछ हिस्सों में 210 मिनट तक है।