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श्रीलंका ने विदेशी शोध जहाजों से प्रतिबंध हटाने का किया एलान, जानिए भारत-चीन से क्या है संबंध

श्रीलंका ने अगले साल से उनके देश में विदेशी शोध जहाजों के आने पर प्रतिबंध हटाने का फैसला किया है। दरअसल श्रीलंका में भारत और अमेरिका द्वारा हाई-टेक चीनी निगरानी जहाजों के बार-बार श्रीलंका के बंदरगाहों पर डॉक करने पर सुरक्षा संबंधी गंभीर चिंताओं के बाद विदेशी शोध जहाजों पर प्रतिबंध लगाया था। इसकी जानकारी जापान दौरे पर पहुंचे श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने दी।

भारत-अमेरिका ने किया था आग्रह
बता दें कि हिंद महासागर में चीनी शोध जहाजों की बढ़ती आवाजाही के को लेकर नई दिल्ली ने चिंता जताई थी और आशंका जताई थी कि चीनी जहाज जासूसी जहाज़ हो सकते हैं और कोलंबो से ऐसे जहाजों को अपने बंदरगाहों पर डॉक करने की अनुमति न देने का आग्रह किया था। भारत द्वारा चिंता जताए जाने के बाद श्रीलंका ने जनवरी में अपने बंदरगाह पर विदेशी शोध जहाजों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया था। इस साल की शुरुआत में, श्रीलंका ने एक चीनी जहाज़ को अपवाद के तहत मंजूरी दी थी, लेकिन प्रतिबंध जारी रखा था। श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार अलग-अलग देशों के लिए अलग-अलग नियम नहीं रख सकती। उन्होंने कहा कि उनका देश दूसरों के बीच विवाद में किसी का पक्ष नहीं लेगा।

उल्लेखनीय है कि दो चीनी जासूसी जहाजों को नवंबर 2023 तक 14 महीने के भीतर श्रीलंका के बंदरगाहों में डॉक करने की अनुमति दी गई थी। चीनी शोध जहाज 6 अक्टूबर 2023 में श्रीलंका पहुंचा और उसने कोलंबो बंदरगाह पर डॉक किया। इस जहाज के डॉक करने का उद्देश्य समुद्री पर्यावरण पर रिसर्च थी। अमेरिका ने इस जहाज के आगमन को लेकर श्रीलंका के प्रति चिंता व्यक्त की थी।

चीनी जासूसी जहाजों को लेकर उठे थे सवाल
इससे पहले अगस्त 2022 में, चीनी नौसेना का जहाज युआन वांग 5 ने दक्षिणी श्रीलंका के हंबनटोटा में डॉक किया। नकदी की कमी से जूझ रहा श्रीलंका, वित्तीय मदद के लिए भारत और चीन, दोनों को समान रूप से महत्वपूर्ण भागीदार मानता है। इस बीच, सबरी ने सोनार से लैस जहाज उपलब्ध कराने की जापान की योजना के लिए भी आभार व्यक्त किया, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि इससे श्रीलंका को ‘अपना स्वयं का सर्वेक्षण करने और अपना डेटा एकत्र करने और उसका व्यावसायिक रूप से दोहन करने का अवसर मिलेगा।’ जापानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंकाई विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि श्रीलंका के पास अप्रयुक्त समुद्री संसाधन हैं, इसलिए शोध आवश्यक है, लेकिन इसे पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए। बता दें कि हिंद महासागर में एक रणनीतिक बिंदु पर स्थित श्रीलंका दक्षिण पूर्व एशिया और पश्चिम एशिया के बीच समुद्री यातायात के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जो वैश्विक व्यापार मार्ग का हिस्सा है।