मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध को लेकर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक उत्पादों पर प्रतिबंध है। ऐसे प्लास्टिक के फूलों के इस्तेमाल, ब्रिक्री पर पाबंदी लगाने में कोई बाधा नहीं है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और जस्टिस अमित बोरकर की पीठ ने सजावट के लिए कृत्रिम फूलों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के अनुरोध वाली याचिका पर केंद्र और महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांगा है। अदालत ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी नोटिस जारी किया है।
ग्रोवर्स फ्लावर्स काउंसिल ऑफ इंडिया (जीएफसीआई) द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया कि सजावट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्लास्टिक के फूलों की अधिकतम मोटाई 30 माइक्रोन होती है। अदालत ने कहा, इस चिंता को जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है, क्योंकि अगर 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाली अन्य वस्तुओं पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, तो प्लास्टिक के फूलों पर भी प्रतिबंध लगाने में कोई बाधा नहीं दिखती है।
पीठ ने कहा, “याचिका में उठाए गए मुद्दों के महत्व और 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के फूलों के पारिस्थितिकी तंत्र और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए हम सभी संबंधित पक्षों से अपेक्षा करते हैं कि वे इस मामले को गंभीरता से लेंगे।” अदालत ने सभी प्रतिवादियों को चार सप्ताह के भीतर अपने अपने हलफनामे दाखिल करने का निर्देश दिया। अब अगस्त में मामले की सुनवाई होगी।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “लखनऊ में एक बाल गृह है, जहां बेसहारा बच्चे रहते हैं, जिनमें से कई सेरेब्रल पाल्सी से पीड़ित हैं। जब मैंने वहां टीम से बातचीत की, तो मुझे बताया गया कि वहां ऐसे बच्चे हैं जो खाने योग्य और न खाने योग्य चीजों में अंतर नहीं कर पाते हैं। इस वजह से कई बार उनके मलमूत्र में प्लास्टिक सामग्री पाई जाती थी। इसलिए हमें बहुत गंभीर होना होगा।”
जीएफसीआई की याचिका में कहा गया कि अधिसूचना में प्लास्टिक के फूलों का स्पष्ट रूप से जिक्र नहीं किया गया है। इसके साथ ही सरकार को 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के फूलों के लिए भी आवश्यक प्रतिबंधात्मक आदेश जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।