बदलते मौसम और बारिश ने देश के कई हिस्सों के लोगों के चेहरे पर मुस्कान खिलाई है तो पूर्वोत्तर इसकी मार से कराह रहा है। पिछले एक माह से बाढ़ से जूझ रहे असम और अरुणाचल में लोग अस्थायी कैंपों में रह रहे हैं। असम में करीब 3 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं और अब तक 60 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने राज्य में बाढ़ के हालातों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भौगोलिक कारणों से बाढ़ के हालात पनपे हैं और इन पर काबू पाना मुश्किल हो गया है।
नियंत्रण से बाहर हो गई है स्थिति- हिमंत बिस्व सरमा
कामरूप जिले में बाढ़ के हालातों की समीक्षा के दौरान सीएम सरमा ने कहा कि पड़ोसी राज्य अरुणाचल प्रदेश में बादल फटने की वजह से असम में विनाशकारी बाढ़ आई है। उन्होंने कहा कि चीन, भूटान और अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी क्षेत्रों में भारी बारिश की वजह से असम में बाढ़ से जूझ रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि अब स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई है। मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि असम में बीते कुछ वर्षों में बाढ़ को नियंत्रित करने की कोशिशें की गईं थीं और इससे लोगों को राहत भी मिली थी। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटने की आवश्यकता है।
क्षतिग्रस्त हुए तटबंधों और सड़कों का पुनर्निमाण कराया जाएगा
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने गरल भट्टापारा के हालातों की समीक्षा की। इसके अलावा उन्होंने खाना नदी पर बने धारापुर जंगराबाड़ी फाटक का भी निरीक्षण किया। उन्होंने जनता को आश्वासन दिया कि बाढ़ की वजह से क्षतिग्रस्त हुए तटबंधों और सड़कों का पुनर्निमाण कराया जाएगा। इसके अलावा बाढ़ प्रभावित लोगों के शिविरों में भोजन और स्वास्थ्य सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी। सीएम सरमा ने अधिकारियों के साथ नाव में सवार होकर बाढ़ के हालातों की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि गुरुवार को वे माजुली का दौरा करेंगे। दरअसल, माजुली में भारी बाढ़ की वजह से तटबंध क्षतिग्रस्त हो गया और इस वजह से एक विशाल क्षेत्र जलमग्न हो गया। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि कुछ प्रभावित जिलों में अब बारिश का असर कम दिख रहा है। अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो हालात सुधर सकते हैं।