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प्रजनन विकारों में रामबाण साबित हो सकता है योग, डेढ़ महीने में ही दिखने लगते हैं लाभ

लाइफस्टाइल में गड़बड़ी के कारण वैश्विक स्तर पर प्रजनन विकारों के मामले तेजी से बढ़ते हुए देखे जा रहे हैं। आलम ये है कि अब सामान्य रूप से गर्भधारण करना काफी कठिन हो गया है। यही कारण है कि दुनियाभर में गर्भधारण के कृत्रिम तरीकों जैसे इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (आईवीएफ) की मांग में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

अगर आप भी इस तरह की समस्याओं के शिकार हैं तो आपके लिए अच्छी खबर है। दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया है कि दिनचर्या में अगर आप योग को शामिल कर लेते हैं तो इससे प्रजनन विकारों में अप्रत्याशित लाभ पाया जा सकता है।

शोधकर्ताओं ने 60 स्वयंसेवकों पर योग के प्रभावों का मूल्यांकन करके पाया कि योग को दिनचर्या में शामिल करने से न सिर्फ पुरुषों में शुक्राणु बेहतर होते हैं, साथ ही इससे गर्भावस्था में विफलता का जोखिम भी कम किया जा सकता है। कम उम्र से ही दिनचर्या में योग को शामिल करके संपूर्ण स्वास्थ्य लाभ पाया जा सकता है।

पुरुष-महिला दोनों के लिए योग लाभकारी

योग हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को किस प्रकार से लाभ पहुंचाता है इस बारे में लोगों को जागरूक करने और योग करने को लेकर लोगों को प्रेरित करने के उद्देश्य से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।

प्रजनन विकारों में योग से होने वाले फायदों को लेकर एम्स के शोधकर्ताओं ने बताया कि डेढ़ सप्ताह के नियमित योग से भी शुक्राणुओं की गुणवत्ता और गतिशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। गर्भधारण में सुधार करने की दिशा में भी योग प्रभावी तरीका हो सकता है।

अध्ययन में क्या पता चला?

इंटरनेशनल जर्नल साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित इस अध्ययन में विशेषज्ञों ने बताया हमारे अध्ययन ने योग अपनाने के बाद 14 जीनों की अभिव्यक्ति (गतिविधि स्तर) का विश्लेषण किया। योग के बाद मूल्यांकन किए गए जीन की स्थिति प्रजनन के लिए बेहतर पाई गई। अध्ययनकर्ताओं ने बताया, पहले के कई अध्ययनों में कहा जाता रहा था कि तथाकथित ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और डीएनए डैमेज के परिणामस्वरूप शुक्राणु की कोशिकाओं को होने वाली समस्या के कारण गर्भावस्था में समस्या आ सकती है।

6 सप्ताह में ही दिखने लगे लाभ

30 कपल्स जिन्होंने बार-बार गर्भपात का अनुभव किया था और 30 कपल्स जिन्होंने भ्रूण प्रत्यारोपण में विफलता का अनुभव किया था, उन्हें इस अध्ययन में शामिल किया गया था। इन लोगों को करीब छह सप्ताह नियमित योग की सलाह दी गई। अध्ययन का नेतृत्व करने वाली एनाटॉमी की प्रोफेसर रीमा दादा कहती हैं, छह सप्ताह के अंत में शुक्राणु टेलोमेरेस की लंबाई में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो डीएनए और प्रोटीन से बनी संरचनाएं हैं और गुणसूत्रों के सिरों पर पाई जाती हैं। महिलाओं में गर्भधारण की समस्या में भी योग से विशेष लाभ का अनुभव हुआ।

क्या कहती हैं विशेषज्ञ?

अमर उजाला से बातचीत में लखनऊ स्थित एक अस्पताल में वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ शशि सक्सेना बताती हैं, योग को दिनचर्या का हिस्सा बनाना आपके लिए विशेष लाभकारी साबित हो सकता है। शारीरिक आसन, श्वास व्यायाम और ध्यान अभ्यास के संयोजन की मदद से आप स्वास्थ्य में विशेष सुधार का अनुभव कर सकते हैं। बढ़ती प्रजनन की समस्याओं के लिए लाइफस्टाइल में गड़बड़ी को बड़ा कारण माना जा रहा है, योग के अभ्यास से लाइफस्टाइल से संबंधित जटिलताओं को कम करना आसान हो सकता है।