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‘भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने की भयानक साजिश’, डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में चौंकाने वाले दावे

नई दिल्ली:  डिसइंफो लैब..एक संस्थान जिसने भारत में आम चुनाव के बीच विदेशी हस्तक्षेप के दावे किए थे। एक बार फिर से डिसइंफो लैब ने चुनाव में हस्तक्षेप को लेकर बड़े दावे किए हैं। दावा किया गया है कि भारत में लोकसभा चुनाव में हस्तक्षेप के लिए बड़ी ताकतों ने छोटी ताकतों तक मदद मुहैया कराई। यह एक ऐसा जाल है, जिसका तानाबाना सिर्फ विदेश में ही नहीं बल्कि भारत तक बुना गया। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत एक उभरती हुई आर्थिक और रणनीतिक शक्ति है। भारत की विदेश नीतियों से वैश्विक गतिशीलता को एक नया आकार मिलता है। रूस-यूक्रेन और इस्राइल-हमास युद्ध के बीच भारत ने अतुलनीय विदेश नीति का प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वजह से भारत में आम चुनावों पर वैश्विक मीडिया की नजर रही।

डिसइंफो लैब का दावा
डिसइंफो लैब का दावा है कि जब करोड़ों भारतीय आम चुनाव के दौरान अपना भविष्य तय कर रहे थे। इस दौरान वैश्विक मीडिया का एक वर्ग मतदाताओं के निर्णयों को प्रभावित करने के लिए एक भयानक साजिश की योजना तैयार रहा था। दावा किया गया है कि इस योजना के क्रियान्वयन के लिए सुव्यवस्थित तरीके से वित्तपोषण यानी पैसों की व्यवस्था भी की गई। इसमें सिर्फ विदेशी ही नहीं बल्कि भारतीय मीडिया भी शामिल थी। अलग अलग तरीके से भारत में आम चुनावों को प्रभावित करने की कोशिशें कीं गईं।

फ्रांस के पत्रकार क्रिस्टोफ जॉफरलेट पर डिसइंफो लैब के आरोप
डिसइंफो लैब ने दावा किया है कि कुछ मीडिया संस्थानों के लेखों में अलग तरह का पैटर्न देखने को मिला, जिस वजह से इस रिपोर्ट को तैयार किया गया है। रिपोर्ट में इस बात पर हैरानी जताई गई है कि इस दौरान एक विशेष तरह के आख्यान को आकार देने की कोशिश कर मतदाताओं का ध्यान भटकाने की कोशिश की गई। डिसइंफो लैब का दावा है कि फ्रांस का समाचार पत्र ‘ले मोंडे’ ऐसी गतिविधियों में शामिल रहा। रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि फ्रांस के राजनीतिक विशेषज्ञ क्रिस्टोफ जॉफरलेट इन गतिविधियों के केंद्र बिंदु रहे। भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए जॉफरलेट के बयानों को आधार बनाया गया। डिसइंफो लैब ने दावा किया है कि इस खेल में सिर्फ जॉफरलेट ही अकेले खिलाड़ी नही थे।

कहां से की गई फंडिंग?
डिसइंफो लैब ने अपनी रिपोर्ट में हेनरी लुइस फाउंडेशन (एचएलएफ) और जॉर्ज सोरोस ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (ओएसएफ) का भी जिक्र किया गया है। बताया गया है कि एचएलएफ और ओएसएफ द्वारा भारत में आम चुनाव को प्रभावित करने के लिए फंडिंग की गई। रिपोर्ट में जिन समूहों और व्यक्तियों का नाम उजागर किया गया है, वे फ्रांस और संयुक्त राज्य अमेरिका से संचालित किए गए हैं। रिपोर्ट में कुछ और भी बड़े आरोप लगाए गए हैं।

डिसइंफो लैब की रिपोर्ट में फ्रांस के इन मीडिया संस्थानों का जिक्र
डिसइंफो लैब का दावा है कि फ्रांस के कई मीडिया संस्थानों ने भारत में आम चुनाव में हस्तक्षेप के लिए कई तरह के लेख प्रसारित किए। इनमे ले मोंडे के अलावा वाई ले सोइर, ला क्रॉइक्स (इंटरनेशनल), ले टेम्प्स, रिपोर्टर्रे और रेडियो फ्रांस इंटरनेशनेल (आरएफआई) जैसे संस्थान शामिल हैं। इन सभी को भारतीय चुनाव में आम जनता की राय को अलग आकार देने के लिए निर्देशित किया गया। दावा किया गया है कि इन सभी मीडिया संस्थानों का नेतृत्व ले मोंडे ने किया।