वाराणसी: बस एक क्लिक और काशी हिंदू विश्वविद्यालय की 89 साल पुराने शोध की थीसिस स्क्रीन पर। बीएचयू में शोध कार्यों की थीसिस को तेजी से डिजिटलाइज्ड किया जा रहा है। विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी ने अब तक विभिन्न विभागों में कराए गए शोध की 8148 थीसिस डिजिटलाइज्ड कर दी है। खास बात यह है कि इनमें वर्ष 1935 से 36 की लगभग 89 साल पुरानी दो थीसिस भी शामिल हैं। ये थीसिस हस्तलिखित हैं।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय का सयाजी राव गायकवाड़ केंद्रीय पुस्तकालय विश्वविद्यालय में कराए गए अनुसंधानों की थीसिस को शोध गंगा के पोर्टल पर अपलोड कर रहा है। प्रतिदिन औसतन सात से आठ थीसिस को पठनीय बनाकर ऑनलाइन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय ने अब तक 7885 थीसिस अपलोड कर दी है।
1935 से 36 की दो थीसिस ऑनलाइन
पोर्टल पर बीएचयू में लगभग नौ दशक पूर्व से शोध कार्य होने का प्रमाण मिलता है। शोध गंगा पोर्टल पर 1935 में मुकम्मल हुई थीसिस ‘द विजय नगर पॉलिटी’ अपलोड है। इसी तरह थीसिस ‘मेटाफिजिक्स ऑफ इंडीविडुएशन’ भी ऑनलाइन है, जिसे 1936 में पूरा किया गया था।
संस्कृत विवि ने सिर्फ तीन थीसिस अपलोड की
भारतीय विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों की थीसिस के भंडारण केंद्र के रूप में शोधगंगा पोर्टल पर थीसिस का डिजिटलाइजेशन अन्य स्कॉलर्स के फायदे का मार्गदर्शन लेने का बड़ा केंद्र है। लेकिन, बनारस के प्रमुख तीन विश्वविद्यालयों में संपूर्णानंद सबसे पीछे है। बीएचयू जहां 8148 थीसिस अब तक अपलोड कर जिले में प्रथम स्थान पर है। वहीं, काशी विद्यापीठ ने अब तक 4972 थीसिस अपलोड की है। जबकि संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ने सिर्फ तीन थीसिस अपलोड की है।