नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 25 हफ्ते के गर्भ को गिराने की मंजूरी मांगी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स की रिपोर्ट का हवाला देते हुए याचिका खारिज की। हालांकि कोर्ट ने महिला की निजता का सम्मान करते हुए रिपोर्ट सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की अवकाश पीठ ने एम्स दिल्ली की रिपोर्ट के आधार पर फैसला किया।
महिला ने याचिका में बताया कि उसे 17 मई को ही अपनी गर्भावस्था के बारे में पता चला। महिला ने बताया कि वह आर्थिक तौर पर मजबूत नहीं है और बच्चे की परवरिश करने में सक्षम नहीं है। महिला दुबई से भारत आई है और फिलहाल होटल में ठहरी हुई है। महिला की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एम्स से 24 मई से पहले मेडिकल रिपोर्ट मांगी।
अब एम्स की रिपोर्ट के आधार पर याचिका को खारिज कर दिया है। 27 मई को कोर्ट ने याचिका पर फिर से सुनवाई करते हुए कहा कि ‘मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए हम गर्भ गिराने की अनुमति नहीं दे सकते और मेडिकल रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में रिकॉर्ड में रहेगी। गर्भपात कानून के तहत 24 हफ्ते से ज्यादा का गर्भ गिराने की इजाजत तभी दी जा सकती है, जब गर्भ में पल रहा बच्चा किसी लाइलाज या गंभीर बीमारी से पीड़ित हो या फिर गर्भवती महिला की जान बचाने की स्थिति में गर्भ गिराने की मंजूरी दी जा सकती है।