नई दिल्ली: सेना प्रमुख जनरल मनोज ने उद्धव परियोजना के बारे में बताया जिससे भारत की समृद्ध विरासत के बारे में पता लगाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य रक्षा क्षेत्र में देश के दृष्टिकोण को बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि पिछले साल यह परियोजना शुरू की गई।
इसमें ‘उद्भव’ वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों की गहराई के बारे में है। इसके जरिए प्रतिष्ठित भारतीय और पश्चिमी विद्वानों के बीच पर्याप्त बौद्धिक अभिसरण का खुलासा किया है।
सेना प्रमुख मनोज पांडे ने भारतीय सामरिक संस्कृति में ऐतिहासिक पैटर्न के सम्मेलन में टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि यह ‘उद्भव’ परियोजना बल को “भविष्य के लिए तैयार” करने के लिए है। साथ ही भारत के प्राचीन रणनीतिक कौशल को समकालीन सैन्य क्षेत्र में एकीकृत करके सेना को तैयार करना। उन्होंने कहा, “इस परियोजना में वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों की गहनता से पड़ताल की गई है। यह पड़ताल परस्पर जुड़ाव, धार्मिकता और नैतिक मूल्यों पर आधारित रही।
रणनीति का लगाया पता
उन्होंने बताया कि महाभारत की महाकाव्य लड़ाइयों, मौर्य, गुप्त और मराठों के शासनकाल की रणनीति के बारे में पता लगाया। पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि प्रोजेक्ट उद्भव को एक रणनीतिक शब्दावली और वैचारिक ढांचे को तैयार करने के लिए डिज़ाइन हुआ। इसमें भारत की दार्शनिक और सांस्कृतिक विरासत अंतर्निहित है। सेना प्रमुख मनोज पांडे ने कहा कि परियोजना उद्भव ने प्रख्यात भारतीय और पश्चिमी विद्वानों के बीच पर्याप्त बौद्धिक अभिसरण के बारे में बताता है। साथ ही उनके विचार, दर्शन और दृष्टिकोण के बीच प्रतिध्वनि को दिखाता है।