नई दिल्ली: भारतीय शोधकर्ताओं ने ऐसे पौधे की क्षमताओं का पता लगाया है जिसके जरिये कैंसर को खत्म किया जा सकता है। हिमालय की गोद में मौजूद शतावरी रेसमोसस पौधा स्तन कैंसर से पीड़ित महिलाओं के लिए असरदार हो सकता है। इसे कुरिलो के नाम से भी जानते हैं। प्रयोगशाला में शोधकर्ताओं ने कुरिलो के अलावा अश्वगंधा और कीमोथेरेपी में इस्तेमाल होने वाली दवा का मिश्रण लेकर जब स्तन कैंसर के स्टेम सेल पर प्रयोग किया तो कुछ ही समय में स्टेम सेल नष्ट होने लगे।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने इस अध्ययन को स्तन कैंसर के उपचार में एक नई उम्मीद बताया। मंगलवार को मंत्रालय ने अध्ययन साझा करते हुए कहा कि इन पौधों के जरिये इस बोझ को कम करने में मदद की मिल सकती है। मेडिकल जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित यह अध्ययन मणिपाल स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज और सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने मिलकर किया है। शोधकर्ताओं ने बताया कि शतावरी रेसमोसस पौधा भारत में हिमालय पर मिलता है जो अब लुप्तप्राय माना जाता है।
अन्य बीमारियों में भी उपयोगी
शोधकर्ताओं का कहना है कि यह पौधा थोड़ा मीठा माना जाता है और यह रक्त, गुर्दे, यकृत, जलनयुक्त पेशाब, गठिया, गिल्टी और सूजाक के रोगों में उपयोगी है। अगर किसी रोगी को शतावरी रेसमोसस यानी कुरिलो पौधा के साथ अश्वगंधा और कीमो थेराप्यूटिक दवा पैक्लिटैक्सेल (पीटीएक्स) के साथ उपचार किया जाता है तो इसके संयोजन से ट्यूमर के विकास को रोका जा सकता है। यह अध्ययन प्रयोगशाला में चूहों पर किया है। इसे मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल में शामिल करने की सलाह दी है।
दवा संग पौधे का बनाया अर्क, फिर किया परीक्षण…शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि अध्ययन के दौरान जब पौधों से अर्क लेकर कीमो थेराप्यूटिक दवा के साथ संयोजन किया गया तो एमसीएफ-7 कोशिकाओं में दोनों के संयोजन के साथ मैमोस्फीयर गठन और सीडी 44/सीडी 24 सीएससी मार्कर भी कम होने लगे। अध्ययन में यह भी पता चला है कि अकेले पैक्लिटैक्सेल (पीटीएक्स) देने से ज्यादा औषधीय पौधों के साथ उपचार करने का परिणाम ज्यादा बेहतर है। इन विट्रो और चूहों पर परीक्षण में इसकी पुष्टि हुई है।
देश में स्तन कैंसर के हर वर्ष दो लाख मामले
दरअसल आईसीएमआर के राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम (एनसीआरपी) के मुताबिक, भारत में हर साल स्तन कैंसर के दो लाख से ज्यादा मामले आते हैं। देश में 22 में से एक महिला को स्तन कैंसर होता है। 2022 में भारत में 14,13,316 नए कैंसर के मामले सामने आए, जिनमें 192,020 नए मामलों के साथ देश में स्तन कैंसर का अनुपात सबसे अधिक है।